न्यायमूर्ति बी. आर. गवई ने भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में ली शपथ

नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार, 14 मई को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) पद की शपथ दिलाई। वह इस पद पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के उत्तराधिकारी बने, जो 13 मई को सेवानिवृत्त हुए।

न्यायमूर्ति गवई देश के पहले बौद्ध और दलित समुदाय से दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं। उनसे पहले न्यायमूर्ति के. जी. बालकृष्णन इस समुदाय से CJI बने थे। न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा और वह 23 नवंबर, 2025 को 65 वर्ष की आयु पूर्ण कर पद से सेवानिवृत्त होंगे।

सरकार ने 29 अप्रैल को जारी की थी अधिसूचना

केंद्र सरकार ने 29 अप्रैल को एक अधिसूचना जारी कर न्यायमूर्ति गवई की नियुक्ति की घोषणा की थी। इस अधिसूचना में कहा गया, “भारत के संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत प्राप्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई को 14 मई, 2025 से भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करती हैं।” outgoing CJI संजीव खन्ना ने 16 अप्रैल को सरकार को उनके नाम की सिफारिश की थी।

संविधान पीठों में निभाई अहम भूमिका

न्यायमूर्ति गवई का जन्म 24 नवंबर, 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। नवंबर 2003 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और 2005 में स्थायी न्यायाधीश बने। सुप्रीम कोर्ट में उनका पदोन्नयन 24 मई, 2019 को हुआ था।

उन्होंने कई संवैधानिक पीठों का हिस्सा रहते हुए ऐतिहासिक फैसलों में योगदान दिया है। एक प्रमुख फैसले में उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने पूरे देश में अतिक्रमण हटाने संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए, जिसमें कहा गया कि किसी भी संपत्ति को बिना पूर्व नोटिस और 15 दिन का जवाब देने का अवसर दिए बिना ध्वस्त नहीं किया जा सकता।

न्यायमूर्ति गवई की नियुक्ति देश की न्यायिक प्रणाली में समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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