सोने की कीमतें गति खोने के बावजूद सुधर रही हैं, जून में अमेरिकी ब्याज दर में कटौती एक बड़ा ट्रिगर हो सकती है

सोने की कीमतें गति खोने के बावजूद सुधर रही हैं, जून में अमेरिकी ब्याज दर में कटौती एक बड़ा ट्रिगर हो सकती है
कोलकाता: इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के आंकड़ों के अनुसार मंगलवार (14 मई) सुबह 10 ग्राम 999 शुद्धता वाले सोने की कीमत 93,776 रुपये थी, जो सोमवार (13 मई) को शुरुआती कीमत से 834 रुपये कम है। हालांकि, दिन के दौरान कीमतों में मामूली वृद्धि हुई, जो पिछले दो दिनों (9 और 12 मई) के रुझान के विपरीत है।

पिछले पांच दिनों के लिए सोने (999 शुद्धता) के शुरुआती और समापन भाव:
13 मई: ₹93,942 (खुला), ₹94,344 (बंद)

12 मई: ₹93,393 (खुला), ₹93,076 (बंद)

9 मई: ₹96,647 (खुला), ₹96,416 (बंद)

8 मई: ₹96,024 (खुला), ₹97,030 (बंद)

7 मई: ₹97,493 (खुला), ₹97,246 (बंद)

दो मुख्य प्रेरक शक्तियाँ:

  1. भू-राजनीतिक दबाव और व्यापार अनिश्चितता – भारत-पाकिस्तान संघर्ष और अमेरिकी टैरिफ युद्ध के प्रभाव के कारण हाल ही में सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव रहा है। हालाँकि, अब जब कुछ स्थिरता आ गई है तो कीमतें थोड़ी कम हो गई हैं।
  2. अमेरिकी ब्याज दर पर फैसला (फेड रेट कट) – अमेरिकी फेडरल रिजर्व 18 जून को ब्याज दरों पर फैसला ले सकता है। अगर ब्याज दरें कम होती हैं तो इससे सोने में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ सकती है, जिससे कीमत में बढ़ोतरी हो सकती है।

वैश्विक बाज़ारों पर निर्भरता और डॉलर सूचकांक का प्रभाव:
भारत बड़ी मात्रा में सोने का आयात करता है, इसलिए जब डॉलर बढ़ता है, तो भारत में सोने की कीमत भी बढ़ जाती है। यदि डॉलर सूचकांक कमजोर होता है तो सोने की कीमत में और वृद्धि हो सकती है।

ध्यान रखने योग्य बातें:
एमसीएक्स वायदा मूल्य

न्यूयॉर्क गोल्ड मार्केट की स्थिति

अमेरिकी कोर पीपीआई और सीपीआई डेटा (मुद्रास्फीति सूचकांक)

निष्कर्ष:
यद्यपि सोने का बाजार अस्थायी रूप से ठंडा पड़ गया है, लेकिन यदि जून की फेड बैठक और वैश्विक आर्थिक संकेतक अनुकूल रहे तो सोने की कीमतें फिर से बढ़ सकती हैं। निवेशकों को अब बाजार पर नजर रखने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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