मुस्लिम स्वार्थ के लिए एक से ज्यादा शादी कर रहे
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दो विवाह से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए कड़ी टिप्पणी की है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में इस्लाम बहुविवाह की अनुमति देता है, लेकिन मुस्लिम पुरुष अक्सर इसका दुरुपयोग अपने व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए कर रहे हैं। न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि कोई पहले से विवाहित व्यक्ति इस्लाम धर्म अपनाकर मुस्लिम कानून के अनुसार दूसरी शादी करता है, तो ऐसी शादी कानून की नजर में मान्य नहीं होगी। यह टिप्पणी आवेदक फुरकान की याचिका पर सुनवाई करते हुए आई, जिस पर अपनी पहली शादी के तथ्य को छिपाकर दूसरी महिला से शादी करने और उसके साथ बलात्कार करने का आरोप है।
उच्च न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि धार्मिक कानूनों का इस्तेमाल व्यक्तिगत लाभ या किसी अन्य व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि बहुविवाह की अनुमति कुछ विशिष्ट और न्यायसंगत कारणों पर आधारित है, लेकिन इसका इस्तेमाल विवाहित पुरुषों द्वारा अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए एक उपकरण के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। न्यायालय ने इस मामले में फुरकान के आचरण को गंभीर माना और इस बात पर चिंता व्यक्त की कि कैसे कुछ लोग धार्मिक प्रावधानों का गलत इस्तेमाल कर महिलाओं के साथ अन्याय करते हैं।