योनिद्वार बंद हो गया और उग आया ‘लिंग’! मरीज के गुप्तांगों की हालत देख डॉक्टरों के हाथ-पैर काँपे

आजकल वेबडेस्क: एक दुर्लभ और जटिल आनुवंशिक समस्या के कारण २३ वर्षीय महिला एक बड़ी मुसीबत में पड़ गईं। हाल ही की एक रिपोर्ट के अनुसार, महिला की योनि धीरे-धीरे संकरी होते हुए पूरी तरह से बंद हो गई। इसी के साथ उनके शरीर पर बाहरी रूप से एक शिश्न जैसा अंग (माइक्रोपिनिस) विकसित हो गया। यह घटना भारत के नागपुर के शालिनितई मेघे अस्पताल में घटी।

घटना का विवरण वैज्ञानिक पत्रिका क्युरियस में प्रकाशित हुआ है। रिपोर्ट में डॉक्टरों ने बताया कि २२ साल की उम्र में वह महिला पहली बार अस्पताल आईं। जन्म से ही उनकी भगशेफ (क्लिटोरिस) का आकार बड़ा था, जिसे चिकित्सा विज्ञान की भाषा में क्लिटोरोमेगाली कहा जाता है। शुरुआत में छोटा होने के बावजूद, धीरे-धीरे यह लगभग १.८ इंच (४.५ सेमी) लंबा और ०.४ इंच (१ सेमी) चौड़ा हो गया—जो सामान्य आकार से लगभग दस गुना बड़ा है। डॉक्टरों ने यह भी बताया कि पिछले दो साल से मरीज का योनिद्वार लगातार संकरा होता जा रहा था। यह देखा गया कि योनि के चारों ओर अंडकोष जैसी त्वचा बनने के कारण योनि का मुख लगभग ०.२ इंच (५ मिमी) संकरा हो गया था। इसके अलावा, पिछले चार साल से मरीज के चेहरे पर अत्यधिक बाल उगने की समस्या भी दिखाई दे रही थी।

डॉक्टरों ने बताया कि ४ फुट ६ इंच (१३७ सेमी) लंबी और ४१ किलोग्राम वजनी वह महिला शारीरिक रूप से दुबली-पतली थीं। लेकिन उनके स्तन उस तरह से विकसित नहीं हुए थे। इसके बजाय, उनके शरीर में पुरुषों जैसी कुछ ‘द्वितीयक यौन विशेषताएँ’ (secondary sexual characteristics) विकसित हुई थीं।

महिला के २३ वर्ष की होने पर डॉक्टरों ने मरीज के शरीर में ‘फेमिनाइजिंग जेनिटोप्लास्टी’ (Feminizing Genitoplasty) नामक एक जटिल सर्जरी की। इस प्रक्रिया के माध्यम से क्लिटोरोप्लास्टी करके भगशेफ का आकार छोटा किया गया, लैबियोप्लास्टी करके योनि के बाहरी लेबिया की संरचना को ठीक किया गया और वैजाइनोप्लास्टी करके योनि मुख के चारों ओर की अंडकोष जैसी त्वचा को हटा दिया गया। रिपोर्ट के अनुसार, सर्जरी के पाँच दिन बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। बाद में कोई और शारीरिक जटिलता नहीं देखी गई।

गौरतलब है कि क्लिटोरोमेगाली या मैक्रोक्लिटोरिस एक दुर्लभ शारीरिक स्थिति है, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं के बाहरी गुप्तांगों का असामान्य विकास होता है और कई बार वे पुरुषों के गुप्तांगों जैसे दिखते हैं। दुनिया भर में प्रति एक लाख महिलाओं में अनुमानित रूप से एक महिला इस समस्या से प्रभावित होती है। माना जाता है कि आनुवंशिक परिवर्तनों के कारण यौन हार्मोन के असंतुलन से यह रोग होता है।

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