पाक हमले रोकने के लिए स्वर्ण मंदिर परिसर में मिसाइल रोधी बंदूकें रखने की अनुमति मिली थी, सेना अधिकारी ने बताया
पाकिस्तान के हमले रोकने के लिए अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में सेना को मिसाइल रोधी बंदूकें रखने की अनुमति मिली थी। समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में भारत की हवाई रक्षा प्रणाली के प्रभारी सेना अधिकारी, लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी’कुन्हा ने यह जानकारी दी। उन्होंने इस अनुमति के लिए स्वर्ण मंदिर अधिकारियों को धन्यवाद दिया है।
साक्षात्कार में, सेना अधिकारी ने बताया कि रात के आकाश में दुश्मन के ड्रोनों की सटीक पहचान करने के लिए शायद इतिहास में पहली बार स्वर्ण मंदिर की रोशनी बंद रखी गई थी। उन्होंने कहा, “हम समझते हैं कि वे इसे (स्वर्ण मंदिर) निशाना बना सकते हैं। क्योंकि पाकिस्तान के पास सीमा पर वैध हमला करने जैसा कोई निशाना नहीं है। इसलिए वे हमारे धार्मिक स्थलों और आम लोगों पर हमला करके भ्रम पैदा करना चाहते थे।”
गौरतलब है कि भारत-पाक अटारी-वाघा सीमा से स्वर्ण मंदिर की दूरी मात्र 31 किलोमीटर है। सेना की ओर से पहले ही बताया गया था कि भारत-पाक सैन्य संघर्ष के माहौल में पिछले 7-8 मई की रात को पाकिस्तानी सेना ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को निशाना बनाकर ड्रोन और मिसाइल हमले की कोशिश की थी। सेना के 15वें इन्फैंट्री डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) मेजर जनरल कार्तिक सी शेषाद्रि ने बताया कि हमले की आशंका के चलते पहले से ही स्वर्ण मंदिर को ‘सुरक्षा कवच’ से ढक दिया गया था। इसलिए वहां खरोंच तक नहीं आई। सोमवार को डी’कुन्हा ने कहा, “स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ने हमें बंदूकें रखने की अनुमति दी। शायद कई सालों के बाद पहली बार स्वर्ण मंदिर की सभी लाइटें बंद रखी गईं। इसलिए हम ड्रोन को पहचान पाए।”
पृष्ठभूमि
बता दें कि पिछले 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में गिरावट आई थी। भारत ने हमले के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराते हुए कई कदम उठाए। पिछले 7 मई की मध्यरात्रि को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इस जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को चुन-चुन कर नष्ट किया गया। इसके बाद पाकिस्तान ने भी जवाबी गोलीबारी शुरू कर दी। चार दिनों तक दोनों देशों के बीच यह संघर्ष चला। बाद में हालांकि दोनों पक्षों ने युद्धविराम पर सहमति जताई।