‘अभ्यास’, भारत के रक्षा प्रौद्योगिकी परिवार का नया सदस्य: हथियारों से लैस यह ड्रोन
भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी में एक अभूतपूर्व परिवर्तन हो रहा है। कभी केवल प्रशिक्षण के लिए उपयोग किया जाने वाला ‘अभ्यास हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (HEAT)‘ ड्रोन अब हथियारबंद रूप में परिवर्तित होने लगा है। यह हथियारबंद अभ्यास ड्रोन भारत में निर्मित एक अत्याधुनिक कामिकेज़ (आत्मघाती) ड्रोन के रूप में सामने आने वाला है।
‘अभ्यास’ की यात्रा कैसे शुरू हुई?
‘अभ्यास’ ड्रोन का विचार 2013 में DRDO के एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ADE) द्वारा आया था। मूल रूप से इसे युद्धविमानों के अभ्यास और सरफेस-टू-एयर मिसाइल परीक्षणों के लिए एक लक्ष्य वस्तु के रूप में उपयोग करने के लिए बनाया गया था। 23 जून 2012 को चित्रदुर्ग एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में इस ड्रोन का पहली बार प्रायोगिक उड़ान भरी गई थी, हालांकि तब तक इसमें मुख्य टर्बोजेट इंजन नहीं लगा था।
बाद में इसके डिज़ाइन और क्षमताओं में कई बदलाव किए गए। शुरू में इसमें दो बूस्टर थे, लेकिन बाद में एक उन्नत रॉकेट मोटर के साथ केवल एक बूस्टर लगाया गया। इससे गति बनाए रखते हुए इसकी स्थिरता और बढ़ गई है। अब इसकी लंबाई 2.44 मीटर है, जबकि इसका वजन 75 किलोग्राम ही है।
तकनीकी पहलू और सफल परीक्षण
जनवरी से फरवरी 2024 के बीच चांदीपुर, ओडिशा में कुल 4 सफल उड़ान परीक्षण पूरे किए गए। इसके बाद जून 2024 में 6 लगातार सफल परीक्षण हुए। इन दस सफल परीक्षणों के बाद ‘अभ्यास’ को उत्पादन के लिए तैयार घोषित किया गया है।
सामान्य ‘अभ्यास’ ड्रोन की क्षमता:
- लंबाई: 2.385 मीटर
- वजन: 75 किग्रा
- गति: 648 किमी/घंटा (मैक 0.5)
- रेंज: 400 किमी
- उड़ान अवधि: 30-45 मिनट
- MEMS जायरोस्कोप के माध्यम से जड़त्वीय नेविगेशन सिस्टम
- मुनिशंस इंडिया लिमिटेड का बूस्टर और बाद में एडवांस्ड सिस्टम्स लेबोरेटरी, हैदराबाद का उन्नत बूस्टर
इसमें रडार क्रॉस-सेक्शन, इन्फ्रारेड सिग्नेचर और विजुअल सिग्नेचर को बेहतर बनाने की तकनीक भी है, जिससे यह यथार्थवादी युद्ध अभ्यास के लिए विशेष रूप से प्रभावी है।
हथियारबंद संस्करण की विशेषताएं
नए हथियारबंद वेरिएंट में नोज कोन में वॉरहेड पेलोड लगाने के लिए बैलास्ट सिस्टम जोड़ा गया है। यह पहले की तरह मैक 0.5 की गति से 300-400 किमी की दूरी पर हमला करने में सक्षम है। इसकी सरल लॉन्च प्रणाली और छोटे आकार के कारण इसे जल्दी से फिट किया जा सकता है।
यह ड्रोन एक साथ प्रशिक्षण और वास्तविक हमलों में उपयोग करने योग्य है – एक दोहरी क्षमता वाला सिस्टम जो रक्षा लागत और संसाधनों को बचाने में अत्यंत प्रभावी है।
लार्सन एंड टुब्रो (L&T) और DRDO संयुक्त रूप से डेवलपमेंट कम प्रोडक्शन पार्टनर मॉडल पर ‘अभ्यास यूएवी’ का निर्माण कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, L&T पहले चरण में 300 यूनिट तक ये नए हथियारबंद ड्रोन बना सकता है।
रणनीतिक महत्व और आपातकालीन अनुप्रयोग
यह विकास ऐसे समय में हो रहा है जब रक्षा मंत्रालय इस तरह की प्रौद्योगिकी के तत्काल अनुप्रयोग को बढ़ाने की योजना बना रहा है। दुनिया भर के विभिन्न युद्धक्षेत्रों में कम लागत वाले ड्रोनों की बड़ी भूमिका देखी गई है, और उसी से सीख लेकर भारत इस तरह के अट्रिटेबल ड्रोन सिस्टम की ओर बढ़ रहा है।
‘अभ्यास’ अब भारत के अन्य ड्रोन सिस्टम जैसे रुस्तम यूएवी और नेत्र यूएवी के साथ एक उच्च-गतिशील आक्रामक हथियार के रूप में अपनी जगह बनाने जा रहा है।
हथियारबंद अभ्यास ड्रोन भारत के रक्षा नवाचार की एक नई उपलब्धि है। DRDO और स्वदेशी कंपनियों का यह संयुक्त प्रयास न केवल एक नया हथियार प्रणाली बनाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत धीरे-धीरे रक्षा प्रौद्योगिकी में कैसे आत्मनिर्भर बन रहा है। यह जल्द ही भारतीय सशस्त्र बलों की सेवा में शामिल हो सकता है और देश की रक्षा रणनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।