पांचकुड़ा: ‘दहन करो नहीं तो नदी में बहा देंगे’, चिप्स विवाद में मृत बच्चे को लेकर पुलिस ने ऐसा क्यों कहा?
पांचकुड़ा: बाल बिखरे हुए। प्रिंटेड साड़ी पहने। बोलते-बोलते हांफ रही महिला। बेटे की मौत का गम मां इतनी जल्दी कैसे भूल सकती है? फर्श पर बैठकर, खिड़की से टेक लगाए, छोटे कृष्णेंदु दास की मां ने आरोपी सिविल वालंटियर के खिलाफ अपना गुस्सा निकाला। उनका सीधा आरोप है कि अगर उस सिविल वालंटियर ने भरे बाजार में सिर्फ एक चिप्स के पैकेट के लिए उनके बेटे को डांटा न होता, तो शायद उनके बेटे ने इतना बड़ा कदम नहीं उठाया होता।
यहां तक कि बच्चे की मां ने दावा किया कि पुलिस ने उनसे कहा था कि वे जल्द से जल्द शव का अंतिम संस्कार करें, नहीं तो उसे नदी में बहा दिया जाएगा। पुलिस ने भी इसके जवाब में अपनी बात रखी।
मृत कृष्णेंदु की मां सुमित्रा दास ने आज रविवार को बताया कि वे उस सिविल पुलिसकर्मी के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराएंगी। उन्होंने कहा, “हम दोनों अपना बेटा खोकर थक चुके हैं। अभी तक जा नहीं पाए हैं…।” बार-बार, बेटे को खो चुकी मां ने सवाल उठाया कि एक सिविल वालंटियर में इतनी हेकड़ी कैसे आ जाती है? महिला ने कहा, “एक सिविल पुलिसकर्मी होकर उसने दादागिरी दिखाई। अगर उसने डांटा न होता तो मेरे बेटे ने ऐसा नहीं किया होता।”
गौरतलब है कि घटना वाले दिन शाम को, ग्रामीणों ने कृष्णेंदु के शव के साथ आरोपी सिविलकर्मी के घर के सामने प्रदर्शन किया था। स्थिति लगभग बेकाबू हो गई थी। पुलिस पर आरोप है कि उसने उत्तेजित भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया। छोटे कृष्णेंदु की मां ने कहा, “हमें कोई साथ नहीं मिल रहा है। जो कोई भी आता है, उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है। तो फिर कौन साथ देगा? एक सिविलकर्मी में इतनी हिम्मत? मेरे बेटे को दस मिनट भी देखने नहीं दिया? पुलिस ने उस दिन कहा, शव का अंतिम संस्कार करो, नहीं तो नदी में बहा देंगे, या मुर्दाघर वापस ले जाएंगे। मां को बच्चे को पास रखने नहीं दिया। उन्होंने ही अंतिम संस्कार कर दिया। इतना लाठीचार्ज किया कि ग्रामीण भी हमारे साथ खड़े नहीं हो पाए।” हालांकि, सुमित्रा देवी के बयान के संबंध में, तामलुक अनुमंडल पुलिस अधिकारी अफजल अबरार ने बताया, “मृतक की मां जो बात कह रही है, वह ठीक उसी तरह से नहीं कही गई थी। जब सिविलकर्मी शुभंकर दीक्षित के खिलाफ शिकायत को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा था, तब परिवार के लोग वहां नहीं थे। कुछ लोग बच्चे के शव को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और घर में तोड़फोड़ कर रहे थे। तभी हमने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह बात कही थी। हम यही कहना चाहते थे कि आप अंतिम संस्कार की व्यवस्था करें। अन्यथा हम व्यवस्था करेंगे।”
अभी भी रंग उड़े हुए दालान के एक कोने में कृष्णेंदु की रोजमर्रा की साथी पुरानी साइकिल पड़ी है। जिस साइकिल पर बैठकर छोटा कृष्णेंदु दास स्कूल जाता था। सिर्फ स्कूल ही नहीं, खेल का मैदान, यहां तक कि चिप्स और टॉफी खरीदने जाने का साथी भी यही साइकिल थी। कमरे के एक कोने में किताबें और कॉपियां पड़ी हैं। हवा के झोंकों से कभी-कभी पन्ने पलट जाते हैं। सुंदर लिखावट से भरी आधी कॉपी। खाली पन्ने अब कभी भरेंगे नहीं…। मां ने रो-रोकर यही बात कही।
पांचकुड़ा के गोसाईबेड़ गांव का बारह साल का कृष्णेंदु दास चिप्स खरीदने निकला था। दुकान पर जाकर कई बार दुकानदार को आवाज लगाने के बाद भी उसे दुकानदार दिखाई नहीं दिया। दुकान के बाहर ही हवा से उड़कर आया चिप्स का पैकेट पड़ा था। वह चिप्स का पैकेट उठाकर साइकिल से घर की ओर चला गया। इसके बाद आरोप है कि स्थानीय दुकानदार, जो पेशे से सिविल वालंटियर भी है, ने उस नाबालिग को भरे बाजार में चोर कहा। घटना के बाद, नाबालिग की मां दुकान पर आकर बेटे को डांटा। लेकिन उस नाबालिग को यह चोर का आरोप बर्दाश्त नहीं हुआ। घर लौटकर उसने एक सुसाइड नोट लिखकर जहर खाकर आत्महत्या कर ली। उस नोट में लिखा था “मां मैंने चोरी नहीं की…”। घटना के समय का सीसीटीवी फुटेज पहले ही सार्वजनिक हो चुका है। नाबालिग के परिवार के आरोप सिविल वालंटियर पर हैं। अभी तक थाने में शिकायत नहीं हुई है। लेकिन कृष्णेंदु की मां ने बताया कि वे बहुत जल्द थाने में शिकायत दर्ज कराएंगी।