पाकिस्तान या चीन, भारत का सबसे बड़ा दुश्मन कौन? अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में मिला स्पष्ट जवाब

नई दिल्ली: भारत की सुरक्षा के लिए कौन सा पड़ोसी देश सबसे बड़ा खतरा है, इस सवाल का जवाब अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में मिला है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी (DIA) की ‘वर्ल्ड थ्रेट असेसमेंट रिपोर्ट’ में भारत के पड़ोसी देशों को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इसमें पाकिस्तान के आतंकवाद को समर्थन और उत्तर-पूर्वी सीमा पर चीन की सैन्य गतिविधियों को चिंताजनक बताया गया है।
एक अखिल भारतीय समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी रिपोर्ट में पाकिस्तान को भारत के लिए उतना बड़ा खतरा नहीं माना गया है। हालांकि, कई कुख्यात आतंकवादी समूहों का गढ़ होने के कारण पाकिस्तान हमेशा से भारत के लिए खतरा रहा है, लेकिन हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद यह समस्या काफी हद तक कम हो गई है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में किसी भी आतंकी हमले के प्रयास का जवाब और भी जोरदार होगा। डीआईए की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि फिलहाल भारत को इस पड़ोसी देश को लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। साथ ही, इस रिपोर्ट में पाकिस्तान से निपटने के लिए मोदी सरकार की रक्षा नीति की जमकर तारीफ की गई है।
पाकिस्तान के कंधे पर चीन का हाथ
हालांकि, पाकिस्तान को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्लामाबाद के कंधे पर बीजिंग का हाथ है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारतीय सेना के जवाबी हमले की स्थिति में पाकिस्तान ने चीनी हथियारों को महत्व दिया था, हालांकि वे कोई प्रभाव दिखाने में विफल रहे। लेकिन चीन की मदद से पाकिस्तान भी अपने परमाणु हथियार भंडार को और आधुनिक बना रहा है। बैलिस्टिक मिसाइल बनाने में चीन लंबे समय से पाकिस्तान का मुख्य सहायक रहा है। यहां तक कि हर साल पाकिस्तानी सेना और चीनी सेना का विशेष अभ्यास और प्रशिक्षण भी होता है। केवल हथियारों में ही नहीं, बीजिंग ने इस्लामाबाद की ओर वित्तीय सहायता का हाथ भी बढ़ाया है।
चीनी ड्रैगन की लाल आंख: चिंता का कारण
अमेरिकी खुफिया एजेंसी डीआईए की रिपोर्ट में बीजिंग के परमाणु हथियार प्रेम को चिंता की नजर से देखा गया है। सूत्रों के अनुसार, चीन लगातार अपने परमाणु हथियार भंडार को बढ़ा रहा है। बीजिंग 2030 तक कम से कम 1,000 परमाणु वारहेड बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। वर्तमान में चीन के पास लगभग 600 परमाणु हथियार हैं। 2025 में चीन ने अपना वार्षिक सैन्य बजट 5.2% बढ़ाकर 247 बिलियन डॉलर करने की घोषणा की है, जो भारत के लिए बिल्कुल भी राहत की बात नहीं है।
हालांकि, भारत भी पीछे नहीं है। हाल ही में भारत-पाक संघर्ष के माहौल में भारत की कई आधुनिक मिसाइलों की क्षमता सामने आई है। भारत ने हाल ही में अग्नि-1 प्राइम और अग्नि-5 (MIRV) मिसाइल परीक्षणों में सफलता हासिल की है। इसके अलावा भारतीय नौसेना के बेड़े में आईएनएस अरिघाट नामक दूसरी परमाणु पनडुब्बी शामिल हुई है, जिससे भारत की सैन्य क्षमता कई गुना बढ़ गई है।
चीन के साथ जारी सीमा विवाद
अरुणाचल प्रदेश का नाम बदलने को लेकर हाल ही में भारत ने बीजिंग को चेतावनी दी है। चीन और भारत के बीच सीमा विवाद अभी भी अनसुलझा है। 2020 के गलवान संघर्ष ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। हालांकि अमेरिकी रिपोर्ट में उल्लेख है कि 2023 तक लद्दाख के डेपसांग और डेमचोक इलाकों से सेना की वापसी से तनाव कुछ कम हुआ है, लेकिन मुख्य समस्याएं अभी भी अनसुलझी हैं।
चीन का मुकाबला करने के लिए नई दिल्ली संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय कूटनीति पर भी जोर दे रहा है। इस स्थिति में अमेरिकी रिपोर्ट में चीन को ही भारत का ‘मुख्य प्रतिद्वंद्वी’ बताया गया है।