भारतीय फुटबॉल में नई उलझन, योगी-राज्य के क्लब ने फेडरेशन को अंतरराष्ट्रीय खेल अदालत में घसीटा

आई-लीग खत्म हुए डेढ़ महीने हो चुके हैं, लेकिन जटिलता खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। शनिवार को फेडरेशन के एक फैसले के विरोध में इंटर काशी फिर से अंतरराष्ट्रीय खेल अदालत कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (कैस) जा रहा है।
पिछले अप्रैल में नामधारी एफसी ने फेडरेशन को शिकायत की थी कि इंटर काशी ने आई-लीग के नियम 6.5.6 और 6.5.7 का उल्लंघन किया है।
इस नियम के अनुसार, एक क्लब अधिकतम छह विदेशी खिलाड़ियों को पंजीकृत कर सकता है। जिस विदेशी खिलाड़ी को बाहर किया गया है, उसे उसी सीज़न में दूसरी बार साइन नहीं किया जा सकता है।
नामधारी का दावा है कि नौवें राउंड से पहले स्पेनिश स्ट्राइकर मार्को बारको की जगह सर्बिया के मातिजा बाबोविक को काशी ने साइन किया था। 15वें राउंड से पहले जुआन पेरेज़ की जगह बारको को फिर से वापस लाया गया। उनका दावा है कि यह काम नियम विरुद्ध है। नामधारी के साथ चर्चिल ब्रदर्स और रियल कश्मीर ने भी शिकायत दर्ज कराई थी। बारको इन दोनों टीमों के खिलाफ खेले थे।
शनिवार को फेडरेशन की अपील समिति ने कहा कि नामधारी, चर्चिल और कश्मीर का दावा सही है। उन्होंने कहा कि काशी के चार अंक काट लिए जाएंगे। चर्चिल को दो अंक और नामधारी को तीन अंक मिलेंगे। इसके अनुसार, चर्चिल के अंक 42 हो जाएंगे। काशी के अंक घटकर 37 हो जाएंगे। नामधारी के 35 अंक होंगे। चर्चिल अकेले चैंपियन बन जाएगा।
काशी ने तुरंत घोषणा की कि वे कैस जाएंगे। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि फेडरेशन इतने सरल और सामान्य नियम को भी कैसे नहीं समझ पा रहा है। इस मामले में काशी दूसरी बार कैस जा रहा है। पिछला मामला अभी तक सुलझा नहीं है।
पिछले 18 अप्रैल को चर्चिल को चैंपियन घोषित किया गया था। उसके तुरंत बाद काशी ने कैस में अपील दायर की थी। कैस की अपील्स आर्बिट्रेशन डिवीजन की उपाध्यक्ष एलिजाबेथ स्टेनर ने 27 अप्रैल को फेडरेशन को निर्देश दिया था कि इस मामले का निपटारा होने तक पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित न किया जाए।
उसी दिन फेडरेशन ने एक बयान जारी कर बताया था कि रविवार को ही गोवा में चर्चिल को आई-लीग की ट्रॉफी और पदक दे दिए गए थे! हालांकि, फेडरेशन कार्यालय में छुट्टी होने के कारण कैस का फैसला उन तक पहुंचने से पहले ही पुरस्कार वितरण समारोह हो गया था। बाद में फेडरेशन ने चर्चिल से ट्रॉफी वापस भी मांगी थी। कैस ने फेडरेशन, चर्चिल और नामधारी एफसी को अपने तर्क प्रस्तुत करने के लिए 29 अप्रैल तक का समय दिया था।
गौरतलब है कि आई-लीग खत्म होने के बाद चर्चिल ने 40 अंकों के साथ समापन किया था। इंटर काशी ने 39 अंकों के साथ समापन किया। समस्या इंटर काशी के एक मैच को लेकर है। पिछले 13 जनवरी को नामधारी एफसी के साथ काशी का मैच था। उस मैच में काशी 0-2 से हार गया था। हालांकि, मैच के तुरंत बाद काशी ने नामधारी के खिलाफ अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) में शिकायत दर्ज कराई थी। उनका दावा था कि उस मैच में नामधारी ने अवैध रूप से क्लेडसन कारवाल्हो दा सिल्वा को खिलाया था। क्लेडसन को पहले ही चार पीले कार्ड दिखाए गए थे, इसलिए उन्हें उस मैच में निलंबित रहना चाहिए था। लेकिन उन्होंने काशी के खिलाफ उस मैच में खेला।
फेडरेशन की अनुशासन समिति ने काशी की याचिका पर सुनवाई की और उस मैच में नामधारी को पराजित घोषित किया और काशी को तीन अंक दे दिए। लेकिन 27 मार्च को उन्होंने अपने उस फैसले को स्थगित कर दिया। इस पर काशी ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कानूनी धमकी भी दी थी। लेकिन इससे भी कोई फायदा नहीं हुआ। फेडरेशन द्वारा स्थगन हटाने के कारण काशी को उस मैच से तीन अंक नहीं मिले। इसलिए चर्चिल को ही चैंपियन घोषित किया गया।
उसी दिन इंटर काशी ने एक बयान में कहा था कि 6 अप्रैल से पहले जो फैसला लिया जा सकता था उसे अनावश्यक रूप से लंबा खींचा गया है। साथ ही, अपील समिति की सुनवाई में जिस प्रक्रिया का पालन किया गया वह सही नहीं है। इसलिए ‘पारदर्शी’ न्याय पाने के लिए वे कैस का दरवाजा खटखटा रहे हैं। काशी का दावा है कि शुरू से ही वे एक सामान्य नियम का उपयोग करके समस्या के समाधान की अपील कर रहे थे, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। वे सही न्याय पाने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे।