रहस्यमय पाताल भैरव मंदिर क्या मिट्टी के नीचे है सुप्त ज्वालामुखी?

झाड़ग्राम के बिनपुर के ओरगोंदा गांव में एक खंडित मंदिर के नीचे रहस्यमय ‘पाताल भैरव’ को लेकर उत्सुकता बढ़ रही है। ग्रामवासियों का मानना है कि यह कालभैरव गहरी निद्रा में हैं और निश्चित समय के बाद वे जागते हैं, जिससे मंदिर की मिट्टी हिलती है और मूर्ति की आंखों तथा मुंह से सफेद धुआं निकलता है। पाहान जाति के देहरी आज भी इस भैरव के जागने की प्रतीक्षा में नियमित पूजा करते आ रहे हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि भैरव आखिरी बार लगभग पांच दशक पहले जागे थे।
मंदिर के पुजारी पाहान जाति के देहरी रवींद्र पाहान और ग्रामवासी दिलीप हेंब्रम ने अपने बचपन में मूर्ति के मुंह से धुआं निकलते और मंदिर परिसर को कांपते देखा है। उनके अनुसार, जब भैरव जागते हैं, तो मंदिर परिसर गीला हो जाता है और सांप, पक्षी उस क्षेत्र को छोड़कर भाग जाते हैं। जिले के प्रख्यात पुरातत्वविद् सुशील कुमार बर्मन के अनुसार, इस क्षेत्र में कई खंडित जैन मंदिर होने के बावजूद, एक बड़ी बैल की मूर्ति शैव मंदिर का संकेत देती है। उन्होंने मूर्ति के मुंह से धुआं निकलने और कंपन की बात सुनी है और खुद भी देखा है कि वेदी के नीचे बड़े छेद हैं, जिनसे धुआं निकल सकता है। पुरातत्वविद् यह भी बताते हैं कि ओरगोंदा गांव की भौगोलिक स्थिति और ताराफेनी नदी की निकटता मिट्टी के नीचे गैसीय झरनों की संभावना को खारिज नहीं करती है। यहां तक कि, इस स्थान पर एक सुप्त ज्वालामुखी होने की संभावना को भी वह पूरी तरह से खारिज नहीं कर रहे हैं, हालांकि उनका मानना है कि इस विषय पर और विस्तृत शोध की आवश्यकता है।