सूर्यदेव को अर्घ्य देने के नियम जानें, रोगों से मिलेगी मुक्ति

हिंदू धर्म में प्रत्यक्ष देव माने जाने वाले भगवान सूर्य को समर्पित रविवार के दिन उन्हें जल अर्पित करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि नियमित रूप से सूर्यदेव को अर्घ्य देने से व्यक्ति को निरोगी काया और जीवन में सफलता का आशीर्वाद मिलता है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा में कुछ विशेष नियम और कायदों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है, तभी इसका पूर्ण शुभ फल प्राप्त होता है.
सूर्यदेव को जल चढ़ाने का सही समय सूर्योदय के 12 से 15 मिनट के भीतर होता है. अर्घ्य के जल में लाल फूल, कुमकुम, अक्षत, चीनी, रोली या हल्दी मिलाना कल्याणकारी माना गया है. अर्घ्य देते समय जल की धारा से होकर सूर्य की किरणें शरीर पर पड़नी चाहिए, जिससे शरीर निरोगी होता है. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जल कभी भी सीधे जमीन पर न गिरे; इसे किसी पौधे में अर्पित करें या जल में खड़े होकर अर्घ्य दें. इस दौरान “ऊँ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है, और अर्घ्य के बाद तीन बार परिक्रमा भी करनी चाहिए.