भारतीय सबसे ज्यादा अनफिट! लैंसेट ने चौंकाने वाला खुलासा किया

समय आगे बढ़ रहा है, तकनीक और सभ्यता एक साथ बदल रही है। लेकिन जीवित रहने की इस दौड़ में लोग धीरे-धीरे अपने शरीर और स्वास्थ्य की रक्षा करना भूल रहे हैं। नतीजतन, स्वस्थ रहना आज सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। बीमारियों का प्रचलन बढ़ रहा है, उम्र की परवाह किए बिना रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।
डॉक्टरों के चैंबर में लगातार भीड़ रहती है और दवाओं पर निर्भरता जीवन भर बवंडर की तरह चलती रहती है। इस बीच, लैंसेट ने एक सनसनीखेज रिपोर्ट सामने रखी है, जो भारत के लिए काफी चिंताजनक है।
दिन भर ऑफिस के दबाव से थक गए – चाहे वह कॉर्पोरेट जॉब हो या सरकारी ऑफिस। वीकेंड की छुट्टियां, सोशल मीडिया हैंगआउट और व्यस्त दिनचर्या, शरीर की देखभाल उपेक्षित रहती है। खासकर युवा पीढ़ी इस जीवनशैली को अपना रही है। नतीजा? शारीरिक परिश्रम कम हो रहा है और शारीरिक व्यायाम पूरी तरह से अनियमित होता जा रहा है। द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि 2022 में, दो में से एक वयस्क भारतीय शारीरिक गतिविधि के अनुशंसित स्तर तक नहीं पहुंच पाया। इससे हृदय रोग, मधुमेह, स्ट्रोक, मनोभ्रंश और यहां तक कि स्तन और पेट के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की भयावह भविष्यवाणी
WHO के अनुसार, वर्तमान में दुनिया में 31% वयस्क शारीरिक रूप से निष्क्रिय हैं। लेकिन भारत में यह दर 49.4% है! पाकिस्तान में यह दर 45.7% है, भूटान में केवल 9.9% और नेपाल में 8.2% है। WHO को डर है कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो भारत में निष्क्रियता दर 2030 तक बढ़कर 60% के करीब हो जाएगी।
WHO क्या करने के लिए कह रहा है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों के अनुसार-
वयस्कों को प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट मध्यम-तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए, या
75 मिनट अधिक जोरदार शारीरिक गतिविधि भी फायदेमंद होगी।
इस सूची में शामिल हो सकते हैं-
पैदल चलना,
साइकिल चलाना,
दौड़ना,
खेल या व्यायाम,
यहाँ तक कि दैनिक घरेलू काम भी।
नियमित व्यायाम के क्या लाभ हैं?
डब्ल्यूएचओ के शोध से पता चला है-
मधुमेह का जोखिम 17% कम हो जाता है,
हृदय रोग और स्ट्रोक 19% कम हो जाता है,
मनोभ्रंश का जोखिम 28-32% कम हो जाता है,
विभिन्न कैंसर का जोखिम 8-28% कम हो जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर लोग नियमित रूप से व्यायाम करना शुरू कर दें, तो हर साल 4-5 लाख असामयिक मौतों को रोकना संभव है।
निष्कर्ष
यह समझना आवश्यक है कि शरीर और मन दोनों का स्वास्थ्य शारीरिक जागरूकता पर निर्भर करता है। न केवल बेहतर जीवन, बल्कि लंबा और गुणवत्तापूर्ण जीवन पाने के लिए, शारीरिक रूप से सक्रिय होना अब एक विलासिता नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है।
अब समय है- डिजिटल दुनिया से बाहर निकलने का, अपने पैरों को फैलाने का, पसीना बहाने का और खुद के लिए जिम्मेदार बनने का!