नेतन्याहू के मुकदमे से नाराज ट्रंप ने सोशल मीडिया पर किया विस्फोटक पोस्ट

गाजा में युद्ध विराम और कैदियों की अदला-बदली पर चल रही बेहद अहम बातचीत के बीच एक नया विवाद खड़ा हो गया है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को जानबूझकर मुकदमेबाजी के जाल में उलझाए रखा जा रहा है – ऐसा विस्फोटक आरोप अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगाया है। उनका दावा है कि नेतन्याहू के खिलाफ चल रहा मुकदमा दरअसल एक राजनीतिक साजिश है, जिसकी वजह से गाजा के साथ शांति वार्ता ठप हो रही है।
अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर पोस्ट करते हुए ट्रंप ने लिखा, “नेतन्याहू एक योद्धा हैं। उन्होंने ईरान के परमाणु खतरे को रोकने के लिए अमेरिका के साथ खड़े होकर लंबे समय तक लड़ाई लड़ी है। अब वे गाजा के साथ कैदियों की अदला-बदली और युद्ध विराम का अहम समझौता करने जा रहे हैं। उस समय उन्हें सिर्फ ‘सिगार’ और ‘बग्स बनी डॉल’ के लिए दिन-ब-दिन कोर्ट में रखा जा रहा है! यह मुकदमा नहीं, पागलपन है!”
नेतन्याहू भी ट्रंप के खुले समर्थन से खुश हैं। शनिवार को इजरायल के प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर ट्रंप को टैग करते हुए लिखा, “एक बार फिर शुक्रिया @realDonaldTrump.” यह स्पष्ट है कि राजनीतिक दबाव के बावजूद ट्रंप का सार्वजनिक समर्थन नेतन्याहू के लिए एक बड़ी जीत है।
नेतन्याहू पर 2019 में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। हालांकि उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया है, लेकिन वे 2020 से अदालत में हैं।
अपने मामले का जिक्र करते हुए ट्रंप ने कहा, “ये अति सक्रिय सरकारी वकील राजनीतिक प्रतिशोध ले रहे हैं। जब अमेरिका इजरायल को भारी वित्तीय और सैन्य सहायता प्रदान करता है, तो इस तरह का अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”
पोस्ट के अंत में ट्रंप ने एक स्पष्ट संदेश दिया – “बीबी को जाने दो, उसके पास करने के लिए एक बड़ा काम है!” “गाजा में सौदा करो। बंधकों को वापस लाओ!!!”
ट्रंप की टिप्पणियों ने राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। नेतन्याहू के करीबी सहयोगियों ने भी न्यायिक प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। कई लोगों का कहना है कि ऐसे समय में जब गाजा पर इजरायल की कूटनीतिक स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है, नेतन्याहू के खिलाफ मामले को आगे बढ़ाने के उद्देश्य पर सवाल उठ रहे हैं। नेतन्याहू को इन दो दबावों के बीच नेतृत्व संभालना पड़ रहा है: एक तरफ गाजा में युद्ध विराम हासिल करने और मानवीय संकट को हल करने के प्रयास, और दूसरी तरफ देश के भीतर अदालतों में तनाव। वह असंतोष ट्रंप की आवाज में सामने आया। अब देखते हैं कि इस विवाद का राजनीतिक और कूटनीतिक असर कहां तक फैलता है।