पश्चिम बंगाल सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी-उर्दू को मिली मान्यता, बांग्ला पोक्खो का विरोध

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार द्वारा सिविल सेवा परीक्षा (WBCS) में हिंदी और उर्दू को मान्यता प्राप्त भाषा के रूप में अधिसूचित किए जाने का विरोध हो रहा है।1 ‘बांग्ला पोक्खो’ नामक बंगाली समर्थक समूह ने इसके खिलाफ कोलकाता में एक रैली निकाली।2 उनका कहना है कि जिस तरह महाराष्ट्र में मराठी और उत्तर प्रदेश-बिहार में हिंदी अनिवार्य है, उसी तरह WBCS परीक्षा में बंगाली भाषा को प्रमुखता दी जानी चाहिए। संगठन ने 300 अंकों का बंगाली भाषा का पेपर अनिवार्य करने की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि सरकार अधिसूचना जारी नहीं करती है, तो 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।3
दूसरी ओर, ममता सरकार ने नेपाली को भी WBCS परीक्षा में वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल किया है, जिससे दार्जिलिंग पहाड़ियों की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी हुई है। पर्सनल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स डिपार्टमेंट ने 17 जून को नेपाली भाषा को 38 वैकल्पिक विषयों में से एक के रूप में अधिसूचित किया। हालांकि, हिंदी-उर्दू को लेकर शुरू हुआ भाषा विवाद राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले गरमा गया है।