CBDT ने जारी किया नया ITR फॉर्म-6, इसमें किए गए 6 बड़े बदलाव
नई दिल्ली: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 7 मई को संशोधित आईटीआर फॉर्म-6 जारी किया, जो 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा। भारत के राजपत्र में प्रकाशित यह फॉर्म आकलन वर्ष 2025-26 के लिए कंपनियों पर लागू है। यह फॉर्म आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 11 के अंतर्गत छूट प्राप्त कंपनियों को छोड़कर सभी कंपनियों के लिए अनिवार्य है।
सीबीडीटी ने कहा कि संशोधन का उद्देश्य दक्षता बढ़ाना तथा नियंत्रण एवं रिपोर्टिंग की गुणवत्ता में सुधार करना है।
नये फॉर्म में छह महत्वपूर्ण परिवर्तन किये गये हैं। सबसे पहले, 23 जुलाई 2024 से पहले और बाद में अर्जित लाभ को पूंजीगत लाभ कर वितरण के लिए अलग कर दिया गया है। दूसरा, शेयर बायबैक के कारण होने वाले पूंजीगत नुकसान को मान्यता दी गई है, लेकिन यह 1 अक्टूबर 2024 के बाद होना चाहिए। तीसरा, कंपनियों को पैन, सीआईएन, कंपनी की प्रकृति (घरेलू या विदेशी), पिछले नाम परिवर्तनों की जानकारी, व्यवसाय शुरू करने की तारीख, पंजीकृत पता और ईमेल आईडी का खुलासा करना होगा। कर विशेषज्ञ अमित शर्मा ने कहा, “इस परिवर्तन से नियंत्रण कड़ा हो जाएगा।”
अन्य परिवर्तनों में धारा 44बीबीसी में व्यवसाय का स्पष्टीकरण, कच्चे हीरों की बिक्री से 4% या उससे अधिक के लाभ की रिपोर्टिंग, तथा धारा 24(बी) के तहत दावा की गई कटौतियों और टीडीएस रिपोर्टिंग में संशोधन शामिल हैं। आयकर विभाग के अनुसार, इन परिवर्तनों से जहां कम्पनियों पर अतिरिक्त जिम्मेदारियां आएंगी, वहीं इससे कर प्रणाली अधिक पारदर्शी और कुशल बनेगी। नया फॉर्म आयकर अधिनियम की धारा 139 और 295 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए आयकर (16वां संशोधन) नियम, 2025 द्वारा पेश किया गया है।