कैंसर को मात देने में इशिका की उल्लेखनीय सफलता, छत्तीसगढ़ बोर्ड में 99.17% अंक
रायपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर के कांकेर जिले की 17 वर्षीय इशिका बाला ने न केवल बोर्ड परीक्षाओं के दबाव से बल्कि कैंसर के दर्द से भी लड़ाई लड़ी है। फिर भी, वह छत्तीसगढ़ राज्य बोर्ड कक्षा 10वीं की परीक्षा में 3.28 लाख विद्यार्थियों में से 99.17% अंक प्राप्त कर संयुक्त टॉपर बने। गुंडाहुर गांव के सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की यह छात्रा अक्टूबर 2023 में रक्त कैंसर का पता चलने के बाद पिछले साल परीक्षा नहीं दे पाई थी। उसके किसान पिता शंकर बाला ने कहा, “इशिका की सफलता ने हमारे अंधेरे दिनों में रोशनी ला दी है।”
इशिका का कैंसर अब नियंत्रण में है, लेकिन उसे अगले 2-3 वर्षों तक नियमित जांच करानी होगी। इशिका ने कहा, “लगातार झटके, नाक से खून आना, अत्यधिक थकान और मानसिक तनाव के बीच पढ़ाई जारी रखना मुश्किल था।” यद्यपि वह अपनी छह घंटे की दैनिक अध्ययन दिनचर्या पर कायम रहना चाहता था, परन्तु उसका शरीर उसे इसकी इजाजत नहीं देता था। फिर भी, जिन दिनों वह बेहतर महसूस करते थे, वे पढ़ाई करते रहते थे। उनके पिता ने बताया कि रायपुर के बाल्को मेडिकल सेंटर में इलाज पर 15 लाख रुपये खर्च हो गए, जिससे उनकी जमा पूंजी खत्म हो गई और उन पर कर्ज का बोझ बढ़ गया।
इशिका पाँच बच्चों में से तीसरी है। उनके पिता, जो पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आये एक हिंदू बंगाली शरणार्थी परिवार के सदस्य थे, 1.7 एकड़ जमीन पर खेती करते थे। 47 वर्षीय शंकर ने कहा, “मेरे चारों बच्चे पढ़ रहे हैं। इशिका की सफलता ने हमें गौरवान्वित किया है।” इशिका जशपुर के पति आत्मानंद ने शासकीय उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल के नमन कुमार खुंटिया के साथ संयुक्त रूप से शीर्ष स्थान प्राप्त किया। वह अपने माता-पिता और शिक्षकों के आभारी हैं, जिन्होंने उन्हें प्रोत्साहित किया।
इशिका का सपना इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर यूपीएससी परीक्षा के जरिए आईएएस अधिकारी बनना है। उन्होंने कहा, “आईएएस अधिकारियों का सम्मान किया जाता है और उनमें बदलाव लाने की शक्ति होती है। मैं शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाना चाहता हूं।” हालाँकि, वह अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए सरकार से वित्तीय सहायता मांग रहे हैं। इशिका की कहानी महज एक प्रयोग का नतीजा नहीं है, यह अदम्य इच्छाशक्ति का प्रतीक है।