छह साल के निचले स्तर पर मुद्रास्फीति, क्या जून में RBI फिर घटाएगा रेपो रेट?
भारत में खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल 2025 में छह साल के निचले स्तर 3.16% पर पहुँच गई, जो मार्च के 3.34% से कम है। इसका प्रमुख कारण खाद्य कीमतों में कमी है। यह आम लोगों के लिए सकारात्मक खबर है, क्योंकि कम मुद्रास्फीति से खपत बढ़ती है, ब्याज दरें घटती हैं और रोजगार सृजन की संभावना बढ़ती है। विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार तीसरे महीने मुद्रास्फीति के रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के 4% के मध्यम अवधि लक्ष्य से नीचे रहने से RBI जून में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट में फिर से कटौती कर सकता है, जिससे उधार की लागत कम होगी और खपत को बढ़ावा मिलेगा।
RBI ने 2025 में दो बार रेपो रेट में कटौती की है—पहली बार फरवरी में 25 बेसिस पॉइंट और फिर अप्रैल में इतनी ही कटौती। इसके परिणामस्वरूप, SBI, HDFC बैंक जैसे प्रमुख बैंकों ने अपनी उधार दरों को कम से कम 25 बेसिस पॉइंट घटाया। निवेश रणनीतिकार नीलांजन डे के अनुसार, यदि RBI जून में रेपो रेट में फिर कटौती करता है, तो बैंक अपनी उधार दरें और कम करेंगे। बैंक अपनी MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट) को समायोजित करते हैं, जिससे होम, ऑटो, शिक्षा और व्यक्तिगत ऋणों की EMI में कमी आती है।
मुद्रास्फीति में कमी का प्रमुख कारण खाद्य मुद्रास्फीति में कमी है, जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) का लगभग 48% हिस्सा है। अप्रैल में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 1.78% हो गई, जो मार्च में 2.69% थी। डे ने बताया कि खाद्य मुद्रास्फीति, जो 2024 में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में बाधक थी, अब नियंत्रण में है। SBI रिसर्च रिपोर्ट ने FY26 में 125 बेसिस पॉइंट की कटौती का अनुमान लगाया है, जो विभिन्न ऋणों पर ब्याज दरों को काफी कम कर सकता है, जिससे खपत को बढ़ावा मिलेगा।