“कैमरा एक अदृश्य दर्शक है”: मृदुल सेन ने बताया ‘सुभम’ के दृश्य सौंदर्य का रहस्य
सिनेमैटोग्राफर मृदुल सेन, जिन्होंने समांथा रूथ प्रभु द्वारा निर्मित तेलुगु फिल्म ‘सुभम’ में अपने कैमरे से दर्शकों को 2000 के दशक के पुराने भौगोलिक और भावनात्मक रंगों से रूबरू कराया, बताती हैं कि उन्होंने इस फिल्म के लिए cinéma vérité (फ्रांसीसी यथार्थवादी शैली) को अपनाया।
आंध्र प्रदेश के भीमुनिपटनम में फिल्माई गई इस हॉरर-कॉमेडी में उन्होंने हल्के रंगों, बिना चमक-दमक वाले सेट और सादगीपूर्ण कॉस्ट्यूम का प्रयोग किया। निर्देशक प्रवीण कंद्रेगुला के साथ यह उनकी दूसरी फिल्म थी, पहली थी ‘परधा’, जो जल्द रिलीज़ होने वाली है और एक रोड ट्रिप कहानी है।
मृदुल, न्यूयॉर्क फिल्म अकादमी की पूर्व छात्रा हैं और खारी बिस्किट जैसी मराठी फिल्म में अपनी सिनेमैटोग्राफी के लिए सम्मानित हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि उनके लिए फिल्म की भाषा नहीं, कहानी और शैली मायने रखती है।
महिला सिनेमैटोग्राफरों की कमी पर मृदुल ने कहा कि वह इस पेशे को सिर्फ पुरुषों तक सीमित मानने की सोच से इत्तेफाक नहीं रखतीं। वे काम करके चुपचाप बदलाव लाने में विश्वास करती हैं।