मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ लेते हुए जस्टिस गवई ने संविधान की रक्षा का किया वचन
नई दिल्ली: जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार (14 मई 2025) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भारत के 52वें मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ ली। यह ऐतिहासिक अवसर था क्योंकि जस्टिस गवई भारत के पहले बौद्ध मुख्य न्यायधीश बने हैं। उन्होंने हिंदी में शपथ ली और संविधान की रक्षा करने का वचन दिया।
शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, और अन्य गणमान्य व्यक्तित्वों के साथ-साथ जस्टिस गवई के परिवार के सदस्य भी उपस्थित थे। जस्टिस गवई ने अपनी मां के चरण छूकर उनका आशीर्वाद लिया और प्रधानमंत्री मोदी ने भी उन्हें सम्मानित किया।
जस्टिस गवई की कार्यकाल की अवधि 23 नवम्बर 2025 तक रहेगी। उन्होंने 2019 में बॉम्बे हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में पदोन्नति प्राप्त की थी।
जस्टिस गवई का न्यायिक करियर
जस्टिस गवई को एक साहसी और निर्णायक न्यायधीश के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसलों में भाग लिया, जिनमें संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और चुनावी बांड्स योजना को खारिज करने वाले फैसले शामिल हैं।
उन्होंने मनीष सिसोदिया जमानत मामले में व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को मजबूत किया और राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी पेरारिवालन की रिहाई का आदेश देने वाली बेंच का नेतृत्व किया।
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को अमरावती में हुआ था और उन्होंने 1985 में वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया। वे नागपुर बेंच के बॉम्बे हाई कोर्ट में विशेष रूप से संविधानिक और प्रशासनिक मामलों में प्रैक्टिस करते थे।