“चीन से दोस्ती का खामियाजा”-भारत के कदम से बांग्लादेश को 9367 करोड़ रुपये का नुकसान

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत जिन देशों को पाकिस्तान का समर्थन करने वाला मान रहा है, दिल्ली उन पर कड़ा रुख अपना रहा है। इस सूची में तुर्की और अजरबैजान के साथ अब पड़ोसी देश बांग्लादेश भी शामिल हो गया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने भारत के स्थलीय बंदरगाहों से कई बांग्लादेशी उत्पादों का आयात बंद कर दिया है।

इसके पीछे बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस की एक विवादास्पद टिप्पणी को भारत की नाराजगी का कारण माना जा रहा है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) का दावा है कि इस फैसले से बांग्लादेश को अनुमानित 770 मिलियन डॉलर या 9367 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।

पहलगाम हमले के बाद से ही भारत पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय जनमत बनाने के साथ-साथ इस मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खड़े होने वालों के प्रति कठोर रवैया दिखा रहा है। तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों पर पहले ही इसका प्रभाव देखा जा चुका है, अब बांग्लादेश पर भी इसी तरह के कदम का प्रभाव देखा जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के अनुसार, बांग्लादेश के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों के लगातार खराब होने के पीछे मुख्य रूप से उस देश के अंतरिम प्रमुख और नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस जिम्मेदार हैं। उन्होंने चीन जाकर भारत के बारे में विवादास्पद टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य स्थलबद्ध हैं और समुद्र तक पहुंचने के लिए भारत बांग्लादेश पर निर्भर है। भारत ने यूनुस की इस टिप्पणी को बिल्कुल भी अच्छी तरह से नहीं लिया और तब से भारत और बांग्लादेश के बीच ‘अलिखित’ दूरी बन गई है।

उसी दूरी के माहौल में हाल ही में केंद्र सरकार ने भारत के स्थलीय बंदरगाहों से कई बांग्लादेशी उत्पादों का आयात बंद कर दिया है। केंद्र के नए निर्देश के अनुसार, बांग्लादेश के कपड़े, फल, लकड़ी के सामान आदि अब भारत के स्थलीय बंदरगाहों से बाजार में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। केवल कपड़ों के लिए कोलकाता और मुंबई के समुद्री बंदरगाह खुले रहेंगे।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के दावे के अनुसार, भारत के स्थलीय बंदरगाहों को बंद करने से बांग्लादेश के 42 प्रतिशत निर्यात पर असर पड़ा है। जीटीआरआई के अनुसार, इस फैसले से बांग्लादेश को कुल 770 मिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है, जो बांग्लादेशी मुद्रा में लगभग 9367 करोड़ रुपये के बराबर है। अकेले कपड़ों के आयात बंद होने से पड़ोसी देश को 618 मिलियन डॉलर का नुकसान होगा। सिर्फ दो बंदरगाहों से व्यापार सीमित होने के कारण बांग्लादेशी निर्यातकों की लागत भी बढ़ेगी, इससे भी उन्हें वित्तीय नुकसान होगा।

इस व्यापारिक संबंधों के जटिल होने के पीछे बांग्लादेश के कुछ पिछले कदम भी कारण हैं। 2024 के अंत से बांग्लादेश ने भी भारतीय उत्पादों पर प्रतिबंध बढ़ाना शुरू कर दिया था। पिछले अप्रैल में बांग्लादेश ने अपने मुख्य 5 स्थलीय बंदरगाहों से भारतीय सूत का आयात प्रतिबंधित कर दिया, जिससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंध और जटिल हो गए।

कुल मिलाकर, पहलगाम हमले के बाद भारत के कठोर रुख और मोहम्मद यूनुस जैसे व्यक्तित्व की विवादास्पद टिप्पणी के कारण भारत-बांग्लादेश के व्यापारिक संबंध लगातार मुश्किल हो रहे हैं, जिसका बांग्लादेश पर बड़ा वित्तीय प्रभाव पड़ रहा है।

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