भारत में फॉक्सकॉन का $1.5 बिलियन का निवेश: चीन के बजाय भारत को चुना एप्पल ने
ताइवान की प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता और एप्पल के आईफोन की मुख्य उत्पादक, फॉक्सकॉन (Hon Hai Precision Industry), चीन के बजाय भारत में 13,000 करोड़ रुपये ($1.5 बिलियन) का निवेश कर रही है। ताइवान स्टॉक एक्सचेंज में दायर एक बयान में फॉक्सकॉन ने बताया कि यह निवेश उसकी भारतीय इकाई में किया जाएगा, जिसका उपयोग दक्षिण भारत में नए कारखाने बनाने और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाएगा।
यह कदम चीन पर एप्पल की निर्भरता को कम करने और भारत में उत्पादन बढ़ाने की एप्पल की रणनीति के अनुरूप है।
एप्पल का लक्ष्य 2026 तक अमेरिका में बेचे जाने वाले अधिकांश आईफोन का उत्पादन भारत में करना है। चीन और अमेरिका की तुलना में भारत में उत्पादन लागत कम होने के कारण एप्पल इस योजना पर जोर दे रहा है। पहले से ही, फॉक्सकॉन और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ मिलकर भारत में आईफोन 17 सीरीज़ का परीक्षण उत्पादन शुरू हो गया है। हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दोहा में एप्पल के सीईओ टिम कुक से बात कर भारत के बजाय अमेरिका में उत्पादन बढ़ाने का आह्वान किया है, जिससे इस योजना में जटिलता आ सकती है।
फॉक्सकॉन का यह निवेश भारत के तमिलनाडु और कर्नाटक के कारखानों पर केंद्रित होगा, जहां आईफोन उत्पादन के साथ-साथ एयरपॉड्स जैसे अन्य उत्पादों का उत्पादन भी बढ़ाया जा रहा है। 2024-25 वित्तीय वर्ष में भारत से 1.5 ट्रिलियन रुपये के आईफोन का निर्यात हुआ है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 54% अधिक है। अमेरिकी-चीन व्यापार तनाव और संभावित शुल्कों के जोखिम से बचने के लिए एप्पल भारत, वियतनाम जैसे देशों में उत्पादन विविधीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
ट्रंप के बयान के बावजूद भारत सरकार और एप्पल के स्थानीय भागीदार इस निवेश योजना पर अटल हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि अगले कुछ वर्षों में एप्पल अपने सभी आईफोन भारत में ही बनाएगा और वहीं से सोर्स करेगा। विश्लेषकों का मानना है कि भारत का विशाल बाजार, कुशल कार्यबल और सरकारी प्रोत्साहन इस निर्णय के पीछे मुख्य प्रेरक शक्ति हैं। हालांकि, चीन से पूरी तरह से बाहर निकलना अभी भी दूर की कौड़ी है।