भारत-पाक संघर्ष विराम में अमेरिकी भूमिका नहीं! ट्रंप के दावे झूठे, विक्रम मिस्री ने बताई सच्चाई
भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पहले ही श्रेय लेने की बात को नई दिल्ली ने बिल्कुल भी पसंद नहीं किया है, यह एक बार फिर स्पष्ट हो गया है। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति के कई दावों को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा है कि इस संघर्ष विराम में अमेरिका की कोई मध्यस्थता नहीं थी, बल्कि यह दोनों देशों की द्विपक्षीय बातचीत का परिणाम है।1
ट्रंप के दावे और भारत का खंडन
डोनाल्ड ट्रंप ने पहले दावा किया था कि अमेरिका की मध्यस्थता में पूरी रात बातचीत के बाद ही भारत और पाकिस्तान संघर्ष विराम पर सहमत हुए थे। उन्होंने तो यह भी कहा था कि व्यापार बंद करने की बात कहते ही दोनों देश संघर्ष विराम के लिए राज़ी हो गए थे। इस विषय पर भारत क्यों चुप रहा, यह सवाल सोमवार को संसदीय समिति की बैठक में एक सदस्य ने उठाया।
जवाब में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने स्पष्ट रूप से बताया कि भारत-पाक संघर्ष विराम में किसी तीसरे पक्ष, खासकर अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी।2 उन्होंने कहा, “10 मई को दोनों देशों के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) ने बात करके संघर्ष विराम पर सहमति जताई।” उन्होंने यह भी बताया कि भारत और पाकिस्तान का संघर्ष ‘कन्वेंशनल वॉरफेयर’ तक ही सीमित था और किसी परमाणु युद्ध का कोई ख़तरा नहीं था।
पाकिस्तान और उसकी सैन्य क्षमता पर भारत का बयान
बैठक में संसदीय समिति के सदस्यों ने पाकिस्तान द्वारा चीन निर्मित युद्ध उपकरणों के उपयोग पर चिंता व्यक्त की तो विदेश सचिव ने दृढ़ता से कहा, “पाकिस्तान ने क्या इस्तेमाल किया यह बड़ी बात नहीं है। भारत उन्हें एयरबेस पर बड़ा हमला करने में सक्षम रहा है। यही बड़ी बात है।” इसके माध्यम से मिस्री ने भारत की सैन्य क्षमता पर ज़ोर दिया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और जयशंकर के बयान का स्पष्टीकरण
उल्लेखनीय है कि हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के एक बयान को लेकर यह अफ़वाह फैली थी कि भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर पाकिस्तान को पहले ही सतर्क कर दिया था। इस संदर्भ में सवाल उठाए जाने पर विक्रम मिस्री ने कहा कि जयशंकर के बयान की ग़लत व्याख्या की जा रही है। उन्होंने समझाया कि एस जयशंकर ने कहा था कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के पहले चरण के बाद नई दिल्ली ने इस्लामाबाद को सूचित किया था कि हमला केवल पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर ही किया गया था।
इस टिप्पणी के माध्यम से भारत ने स्पष्ट संदेश दिया कि वह अपनी सुरक्षा संबंधी मामलों और द्विपक्षीय बातचीत में किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा।