बांग्लादेश में कितने हिंदू रहते हैं? 1971 के बाद से वहां हिंदुओं की संख्या लगातार क्यों घट रही है?
बांग्लादेश में हिंदू आबादी लगातार घट रही है, जिससे देश के धर्मनिरपेक्ष और बहुलवादी समाज के भविष्य को लेकर गहरी चिंताएं पैदा हो गई हैं। वर्तमान में, देश की कुल आबादी लगभग 17 करोड़ में से हिंदू धर्म के अनुयायियों की संख्या लगभग 1.35 करोड़ है, जो कुल आबादी का लगभग 7.97 प्रतिशत है। हालांकि, देश के 4 जिलों में हिंदुओं की आबादी अभी भी 20 प्रतिशत से अधिक है, लेकिन कुल मिलाकर स्थिति चिंताजनक है।
हिंदू आबादी में कमी के कारण:
पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमलों और उत्पीड़न की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। विश्लेषकों ने इस कमी के पीछे कई कारण बताए हैं:
हमले और उत्पीड़न: जमात-ए-इस्लामी जैसे उग्रवादी संगठनों सहित अन्य चरमपंथी समूहों द्वारा हिंदुओं को आर्थिक और धार्मिक रूप से परेशान किया जा रहा है। नियमित रूप से उनके पूजा स्थलों, घरों और व्यवसायों पर हमला किया जाता है।
वेस्टेड प्रॉपर्टी एक्ट (Vested Property Act): यह कानून हिंदू समुदाय के लिए लंबे समय से संकट का कारण बना हुआ है। इस कानून के दुरुपयोग के कारण कई हिंदुओं ने अपनी पैतृक संपत्ति खो दी है और उन्हें देश छोड़कर भागने पर मजबूर होना पड़ा है। हालांकि कानून में कुछ बदलाव किए गए हैं, लेकिन इसका कार्यान्वयन अभी भी हिंदुओं के लिए पर्याप्त सहायक नहीं है।
धर्मनिरपेक्षता का क्षरण: बांग्लादेश का संविधान धर्मनिरपेक्ष होने के बावजूद, देश में धीरे-धीरे इस्लामी राज्य बनने की प्रवृत्ति दिख रही है, जिसके परिणामस्वरूप हिंदुओं पर धार्मिक विद्वेष बढ़ा है।
आर्थिक और सामाजिक भेदभाव: आर्थिक रूप से पिछड़ापन, शिक्षा की कमी और समाज में मौजूदा भेदभाव भी हिंदुओं के देश छोड़ने के प्रमुख कारणों में से एक माने जाते हैं। कई हिंदुओं का मानना है कि उन्हें समाज में समान अवसर नहीं मिल रहे हैं।
भविष्य कैसा होगा?
कुछ रिपोर्टों के अनुसार, यदि वर्तमान प्रवृत्ति जारी रहती है, तो अगले कुछ दशकों में बांग्लादेश में हिंदुओं का अस्तित्व समाप्त हो सकता है। यह स्थिति बांग्लादेश के नागरिक समाज, मानवाधिकार संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए गहरी चिंता का विषय बन गई है। यह केवल एक धार्मिक समूह का विलुप्त होना नहीं है, बल्कि एक देश की सांस्कृतिक और सामाजिक बहुलवाद के क्षरण का संकेत देता है।
समाधान और अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता:
इस चिंताजनक स्थिति से निपटने के लिए निम्नलिखित कदम आवश्यक माने जा रहे हैं:
कानून का समान अनुप्रयोग: सभी नागरिकों के लिए कानून का समान अनुप्रयोग सुनिश्चित करना और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर किसी भी प्रकार के उत्पीड़न को सख्ती से दबाना।
धार्मिक सहिष्णुता में वृद्धि: धार्मिक सहिष्णुता और बहुलवादी समाज के निर्माण के लिए व्यापक जागरूकता पैदा करना। शिक्षा और जनसंचार माध्यमों के माध्यम से विभाजन के बजाय सद्भाव का संदेश फैलाना।
संपत्ति संरक्षण में कानून संशोधन: हिंदुओं की संपत्ति की सुरक्षा के लिए वेस्टेड प्रॉपर्टी एक्ट में उचित संशोधन करना और इसका उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का दबाव: अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से भारत सहित पड़ोसी देशों को, बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालकर हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करना चाहिए। मानवाधिकार संगठनों को इस विषय में और अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय का अस्तित्व अब एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है। इस स्थिति को बदलने के लिए सभी स्तरों पर एक समन्वित और संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है, ताकि देश का धर्मनिरपेक्ष चरित्र अक्षुण्ण रहे और सभी नागरिक समान अधिकार और गरिमा के साथ रह सकें।