भारत का दोस्त होकर भी पाकिस्तान को बेच रहा हथियार! चीन या तुर्की नहीं, नीदरलैंड्स है वो ‘विभीषण’!
नाम का तो वह भारत का दोस्त है, लेकिन असल में दुश्मन का भी दोस्त है। दुश्मन का दोस्त, दोस्त कैसे हो सकता है? यही संदेह पैदा कर रहा है नीदरलैंड्स। अब पाकिस्तान को हथियार बेचकर यह देश खुद को बड़ी मुश्किल में डाल रहा है (India Pakistan Tension)। चीन और तुर्की के बाद, यह तीसरा देश है जो पाकिस्तान को अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने में मदद कर रहा है।
भारत से दोस्ती की बात करने वाला यह ‘छोटा’ देश कैसे भूल गया कि भारत उनका एक बड़ा व्यापारिक साझेदार है? क्या ऐसे भी कोई एक अस्थिर देश के लिए अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारता है? विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी हैरान हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, विदेश मंत्री एस. जयशंकर की हालिया यूरोपीय यात्रा और नीदरलैंड्स में उनकी गतिविधियां इस मुद्दे को केंद्र में ले आई हैं। हालांकि, भारत चुप नहीं बैठेगा। खबर है कि देश अब नीदरलैंड्स को चेतावनी देने की तैयारी कर रहा है। भारत का स्पष्ट रुख है कि या तो पाकिस्तान को छोड़ दो, नहीं तो भारत के कड़े आर्थिक कदमों का सामना करना पड़ेगा। भारत अब कोई बात सुनना नहीं चाहता। लगातार शांति की मांग करने वाला भारत आज शांति की मांग पर अशांत है। दूसरों की भौंहें और एक भी बूंद बर्दाश्त नहीं होगी।
नीदरलैंड्स का असली चेहरा किसने बेनकाब किया?
जानकारी के अनुसार, विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर डेनमार्क, जर्मनी और नीदरलैंड्स की यात्रा पर गए हैं। हाल ही में, 19 मई को उन्होंने नीदरलैंड्स से अपनी 6 दिवसीय यात्रा शुरू की। ऑपरेशन सिंदूर जैसे सुरक्षा कदमों के बाद भारत की विदेश नीति की स्थिति और सख्त हो गई है। ऐसे में विदेश मंत्री की विदेश यात्रा एक बहुत ही महत्वपूर्ण अध्याय बन गई है। इसी बीच जानकारी मिल रही है कि चीन के बाद नीदरलैंड्स ही पाकिस्तान को हथियार सप्लाई करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है।
दोस्ती की आड़ में कैसी है हालत!
भारत के विदेश मंत्री ने नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद, डॉ. जयशंकर ने सोशल मीडिया पर स्पष्ट लिखा कि भारत-नीदरलैंड्स की व्यापारिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए उस देश के प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता वास्तव में सराहनीय है। लेकिन अब मुद्दा यह है कि एक तरफ नीदरलैंड्स भारत के साथ साझेदारी बढ़ाना चाहता है, तो दूसरी तरफ वही पाकिस्तान को नौसैनिक हथियार सप्लाई कर रहा है। यह तो दो नावों में पैर रखने जैसा है। जबकि भारत अकेले नीदरलैंड्स के साथ 22 बिलियन डॉलर की व्यापारिक साझेदारी रखता है। लेकिन पाकिस्तान सहित पूरे यूरोप के साथ नीदरलैंड्स का व्यापार केवल 15 बिलियन डॉलर का है।
भारत की योजना भी तैयार है
अब भारत चाहे तो नीदरलैंड्स पर आर्थिक दबाव बना सकता है और पाकिस्तान को हथियार सप्लाई बंद करवा सकता है। क्योंकि अब जानकारी मिल रही है कि भारत-नीदरलैंड्स के व्यापारिक संबंध जिस दर से बढ़ रहे हैं, उससे अगले कुछ दिनों में नीदरलैंड्स भी देश के रक्षा बाजार में प्रवेश कर सकता है। डच कंपनियां पहले से ही भारत के रक्षा बाजार में प्रवेश करना चाहती हैं। भारत भी इसके लिए अवसर देगा, मना नहीं करेगा। लेकिन याद रहे, यह तभी संभव है जब नीदरलैंड्स अपनी दोहरी नीति बंद करे। अन्यथा शायद भविष्य में भारत को वैकल्पिक सोचना पड़ सकता है।