देश का सबसे बड़ा जासूसी कांड: रवींद्र सिंह ने भारत को कैसे धोखा दिया?

रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) भारत की शक्तिशाली खुफिया एजेंसी है जो अपने बहादुर और समर्पित अधिकारियों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन इसके इतिहास में रवींद्र सिंह जैसे एक कुख्यात गद्दार की कहानी भी दर्ज है, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर नुकसान पहुंचाया। अस्सी के दशक में रॉ में शामिल हुए सिंह ने अपनी तेज बुद्धि और विदेशी भाषाओं के ज्ञान के कारण तेजी से महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां हासिल कीं। फ्रांस, नेपाल और सीरिया जैसे देशों में खुफिया अभियानों के दौरान उन्हें संवेदनशील जानकारी तक पहुंच मिली। लेकिन उनकीAविलासितापूर्ण जीवनशैली, पांच सितारा होटलों में दावतें और असामान्य संपत्ति ने संदेह पैदा किया। बाद में पता चला कि वह सीआईए के संपर्क में थे और गोपनीय जानकारी लीक कर रहे थे। उन्होंने 16 दिनों में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और दक्षिण एशिया में रॉ की रणनीति सहित 210 गोपनीय दस्तावेजों की प्रतियां तैयार कीं। 2004 में सिंह की भागने की योजना पकड़ी गई। वह अपनी पत्नी के साथ नेपाल सीमा पार कर गए और सीआईए की मदद से फर्जी पासपोर्ट पर वाशिंगटन भाग गए। उनके घर के लैपटॉप से चोरी हुए दस्तावेजों के ईमेल के सबूत मिले।

इस घटना ने भारत के खुफिया नेटवर्क को तबाह कर दिया और सीआईए के साथ संबंधों में तनाव पैदा किया। 2005 में सिंह को बर्खास्त कर दिया गया, लेकिन सार्वजनिक सुनवाई से बचा गया क्योंकि यह रॉ की विश्वसनीयता के लिए हानिकारक होता। यह घोटाला भारत के खुफिया इतिहास में एक काला अध्याय बना हुआ है।

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