अफगानिस्तान में तुर्की के हस्तक्षेप पर तालिबान का पलटवार: “हम अपनी समस्याएँ खुद हल करेंगे”

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन मुस्लिम जगत के विभिन्न मुद्दों पर सक्रिय होने का प्रयास कर रहे हैं। चाहे वह भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान का साथ देना हो या इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन का समर्थन, ये सभी एर्दोगन की कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा रहे हैं। हालांकि, इस बार जब तुर्की के नेतृत्व वाले तुर्किक राज्य संगठन (ओटीएस) ने अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार बनाने का आह्वान किया, तो तालिबान ने कड़ा रुख अपनाया है।

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा था, “हमारे लोगों की इच्छाओं और अपेक्षाओं को महत्व दिया जाएगा,” लेकिन उन्होंने साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि अफगानिस्तान अपनी आंतरिक समस्याओं का समाधान खुद करेगा। उन्होंने कहा कि कोई भी बाहरी देश, यहाँ तक कि मुस्लिम राष्ट्र भी, इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। इससे साफ है कि तालिबान अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी तरह के बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं करेगा।

तुर्किक राज्य संगठन में अजरबैजान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तुर्की और उज्बेकिस्तान सहित कई देश शामिल हैं। इन देशों ने मिलकर तालिबान से अफगानिस्तान में तुर्किक समुदाय के लिए अलग स्वायत्त क्षेत्र बनाने की मांग की थी। हालांकि, तालिबान ने इस मांग को खारिज कर दिया है। मुजाहिद ने कहा, “हम अन्य देशों के आर्थिक सहयोग का स्वागत करते हैं, लेकिन अफगान धरती किसी के कब्जे में नहीं दी जाएगी।” इस तरह तालिबान बार-बार अंतरराष्ट्रीय दबाव के सामने अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।

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