१००० के पार पहुंची देश में कोरोना मरीजों की संख्या, जानिए राज्यों का हाल

नई दिल्ली। भारत में एक बार फिर कोविड-१९ संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं, जिससे देशवासियों में नई चिंता पैदा हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में सक्रिय कोरोना मरीजों की संख्या एक हजार के आंकड़े को पार कर गई है। १९ मई से २६ मई के बीच ७५२ नए कोरोना संक्रमित पाए गए हैं और इस अवधि में ७ लोगों की मौत हुई है।

हालांकि, बीते सालों की भयावह यादें (जैसे लॉकडाउन, ऑक्सीजन की कमी, बेड के लिए हाहाकार और प्रियजनों की मृत्यु) अभी भी लोगों को परेशान कर रही हैं, विशेषज्ञ इन नए म्यूटेट हुए वेरिएंट्स की कम घातक क्षमता का दावा कर रहे हैं। लोगों से घबराने के बजाय सतर्क रहने और डॉक्टरों की सलाह मानने का आग्रह किया गया है। हालांकि, कोमॉर्बिडिटी वाले मरीजों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष सावधानी बरतने को कहा गया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में सक्रिय कोविड मामलों की संख्या १ हजार ९ हो गई है। केरल में सबसे ज्यादा ४३० सक्रिय मामले हैं, इसके बाद महाराष्ट्र में २०९, दिल्ली में १०४, गुजरात में ८३ और तमिलनाडु में ६९ मामले हैं। पश्चिम बंगाल में भी सक्रिय कोरोना मरीजों की संख्या १२ है।

भारत में कोरोना के दो नए वेरिएंट – NB.1.8.1 और LF.7 – का पता चला है। INSACOG के आंकड़ों के अनुसार, पिछले अप्रैल में तमिलनाडु में NB.1.8.1 वेरिएंट से संक्रमित १ व्यक्ति मिला था, और मई में गुजरात में ४ लोगों में LF.7 वेरिएंट पाया गया है। ये दोनों वेरिएंट ओमिक्रॉन परिवार के उप-शाखा हैं।

हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इन दोनों वेरिएंट्स को लेकर तत्काल चिंता का कोई कारण नहीं देख रहा है और इन्हें ‘वेरिएंट अंडर मॉनिटरिंग’ (VUMs) के रूप में वर्गीकृत किया है, न कि ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ (VOCs) या ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ (VOIs) के रूप में। WHO का मानना है कि वर्तमान में उपलब्ध टीके इन वेरिएंट्स के खिलाफ भी प्रभावी रहेंगे।

भारत में नए संक्रमितों में से अधिकांश में JN.1 वेरिएंट की उपस्थिति देखी गई है। INSACOG के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जांच किए गए कोविड रोगियों में से ५३ प्रतिशत नमूनों में JN.1 वेरिएंट, २६ प्रतिशत में BA.2 वेरिएंट और २० प्रतिशत में अन्य ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट पाए गए हैं।

नए वेरिएंट्स के सामान्य लक्षण पिछले ओमिक्रॉन स्ट्रेन के समान ही हैं, जिनमें बुखार, खांसी, गले में खराश, बंद नाक या बहती नाक, थकान, सिरदर्द, शरीर में दर्द और कुछ मामलों में दस्त और उल्टी भी शामिल हो सकते हैं। हालांकि, स्वाद या गंध का चले जाना अब दुर्लभ है।

विशेषज्ञ व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने, भीड़ से बचने, आवश्यकता पड़ने पर मास्क का उपयोग करने (विशेषकर अस्पतालों या भीड़भाड़ वाले स्थानों पर) और श्वसन स्वच्छता बनाए रखने पर जोर दे रहे हैं। किसी भी लक्षण के दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेने और जांच करवाने की सलाह दी जा रही है।

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