बस्तर में लाल आतंक का अंत: शांति और विकास की ऐतिहासिक जीत!

एक युगांतकारी घटनाक्रम में, छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला आधिकारिक तौर पर नक्सल प्रभाव से मुक्त घोषित कर दिया गया है, जिसने इस क्षेत्र से ‘लाल आतंक’ का नामो-निशान मिटा दिया है। केंद्र की मोदी सरकार ने बस्तर को वामपंथी उग्रवाद (LWE) प्रभावित क्षेत्रों की सूची से हटाकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह ऐतिहासिक निर्णय छत्तीसगढ़ और विशेष रूप से बस्तर के लोगों के लिए एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है, जो लंबे समय से चरमपंथी हिंसा की छाया में जी रहे थे।
यह विशाल उपलब्धि सुरक्षा बलों, राज्य सरकार और स्थानीय जनता के सक्रिय सहयोग से वर्षों के अथक और समन्वित प्रयासों का परिणाम है। लगातार चल रहे विकास कार्यों, जिसमें मजबूत सड़क निर्माण, आवश्यक शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, और सक्रिय प्रशासनिक भागीदारी शामिल है, ने बस्तर को नक्सलवाद की पकड़ से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। केंद्र सरकार के बस्तर को LWE सूची से हटाने के फैसले से क्षेत्र में निवेश और विकास को नई गति मिलने की उम्मीद है, जिससे न केवल क्षेत्र की छवि बदलेगी, बल्कि रोजगार और पर्यटन के अवसरों में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह परिणाम बस्तर के निवासियों के लिए अपार गर्व का विषय है और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थायी शांति और समृद्धि की दिशा में एक बड़ा कदम है।