सूखे से जल रहा पाकिस्तान, जल संकट से अर्थव्यवस्था ध्वस्त

सूखे से जल रहा पाकिस्तान, जल संकट से अर्थव्यवस्था ध्वस्त

इस्लामाबाद। लंबे समय से सिंधु जल समझौते के रद्द होने के बाद से पाकिस्तान गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है।1 पहलगाम आतंकी हमले की प्रतिक्रिया में भारत द्वारा इस समझौते को रद्द करने के बाद पाकिस्तान का कृषि क्षेत्र भारी नुकसान का सामना कर रहा है।2 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते, और सिंधु का एक बूंद भी पानी पाकिस्तान को नहीं दिया जाएगा।

इस फैसले के कारण पाकिस्तान के, खासकर पंजाब और सिंध प्रांतों में 80 प्रतिशत कृषि कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों के पानी पर निर्भर इन क्षेत्रों के किसान कपास और धान जैसी खरीफ फसलों की खेती नहीं कर पा रहे हैं।3 सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मई में सिंधु नदी प्रणाली में पानी का प्रवाह 21 प्रतिशत कम होने का अनुमान था, जो अब और भी बदतर स्थिति में पहुंच गया है।4 पिछले साल 2 जून की तुलना में सिंधु नदी बेसिन में पानी की मात्रा 10.3 प्रतिशत कम हो गई है।

तरबेला और मंगला बांधों का जलस्तर चिंताजनक रूप से कम हो गया है।5 मंगला की जल धारण क्षमता 59 लाख एकड़ फीट है, जबकि वर्तमान में वहां केवल 27 लाख एकड़ फीट पानी है। वहीं, 1 करोड़ 16 लाख एकड़ फीट जल धारण क्षमता वाले तरबेला बांध में वर्तमान में 60 लाख एकड़ फीट पानी है, जो हर दिन कम हो रहा है।

जल संकट के कारण सिर्फ कृषि कार्य ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान का जलविद्युत उत्पादन भी लगभग शून्य पर आ गया है। पाकिस्तान जल और विद्युत विकास प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार, दो दिनों में चिनाब का पानी 91 हजार क्यूसेक कम हो गया है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने भारत के इस फैसले पर चिंता व्यक्त की है। पिछले शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में ग्लेशियरों से संबंधित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने इसे एकतरफा और अवैध बताया। इसके जवाब में भारत के केंद्रीय मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा है कि पाकिस्तान लगातार सीमा पार आतंकवाद फैलाकर जल समझौते के कार्यान्वयन में बाधा डाल रहा है और झूठा प्रचार कर रहा है, जिसे तुरंत बंद किया जाना चाहिए।

1960 में 19 सितंबर को विश्व बैंक की मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता हुआ था।6 हालांकि, पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने 65 साल पुराने इस समझौते को निलंबित कर दिया और सिंधु के पानी को छोड़ने से इनकार कर दिया, जिससे पाकिस्तान के लिए बड़ा संकट पैदा हो गया है।7

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