राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई जमीन पर 4 साल में नहीं बना कोस्ट गार्ड बेस, राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल!

प्रीतेश बसु, कोलकाता: राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। मोदी-शाह की जोड़ी बंगाल में यात्राएं बढ़ाने में जुटी है। आलोचक कहते हैं, ‘दैनिक यात्री सेवा शुरू हो गई है!’ हालांकि, भाजपा इन आलोचनाओं को दरकिनार कर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर ममता बनर्जी सरकार को घेरने को आतुर है। पहलगांव में हुए आतंकी हमले और उसके बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में भगवा खेमे ने देशवासियों की राष्ट्रवादी भावनाओं को अपने मतपेटी की ओर खींचने के लिए हर तरह के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल सरकार पर सीमा सुरक्षा के लिए जरूरी जमीन मुहैया नहीं करा पाने का आरोप लगाया है। नतीजतन, सीमा सुरक्षा और घुसपैठ विरोधी कार्यक्रम बाधित हो रहे हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक, दरअसल, राजनीतिक कारणों से मोदी सरकार द्वारा बोला जा रहा यह झूठ है। इसका सबूत रक्षा मंत्रालय के अधीन भारतीय कोस्ट गार्ड की ओर से लिखे गए पत्र में मिलता है। यह पत्र 29 मई को राज्य सरकार के भूमि एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव को दिया गया था। पत्र से स्पष्ट है कि राज्य मंत्रिमंडल ने 7 अक्टूबर 2021 को भारतीय तटरक्षक बल द्वारा आवश्यक भूमि को मंजूरी दी थी। तब से लगभग चार साल बीत चुके हैं। उन्होंने अभी तक उस भूमि को अधिग्रहित करने की प्रक्रिया शुरू नहीं की है। इसके विपरीत, उन्होंने राज्य को भूमि की कीमत पर ‘दंड ब्याज’ माफ करने और भूमि अधिग्रहण की समय सीमा बढ़ाने के लिए कई बार लिखा है। सुंदरवन क्षेत्र में असुरक्षित जल की रक्षा के हित में भारतीय तटरक्षक बल ने राज्य से भूमि मांगने के लिए पत्र लिखा है। राज्य मंत्रिमंडल ने बिना देरी किए अमरावती मौजा, फ्रेजरगंज, नामखाना पुलिस स्टेशन में 9.22 एकड़ जमीन हस्तांतरित करने का फैसला किया। वहां एक ‘समुद्री बचाव केंद्र’ (विभिन्न बुनियादी ढांचे के साथ तटरक्षक बल का एक आधार) बनाया जाना है। राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के कारण राज्य ने देरी नहीं की। केंद्र को जमीन के बदले राज्य को सिर्फ 14 करोड़ 93 लाख 64 हजार रुपये देने हैं। लेकिन चार साल से वह पैसा चुकाए बिना जमीन छोड़ दी गई है। नियम यह है कि मंजूरी के एक साल के भीतर अगर जमीन नहीं ली जाती है तो 6.25 फीसदी की दर से ‘दंड ब्याज’ देना पड़ता है। क्योंकि, समय के साथ जमीन का ‘मूल्यांकन’ बढ़ता है। ऐसे में 8 अगस्त 2024 को रक्षा मंत्रालय ने एक पत्र भेजकर ‘दंड ब्याज’ माफ करने और जमीन लेने की समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया। राज्य ने उस अनुरोध को मंजूरी दे दी। 2 दिसंबर 2024 को कैबिनेट ने ‘दंड ब्याज’ माफ करने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया और जमीन लेने की समय सीमा 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दी। वह समय सीमा भी बीत चुकी है। ऐसे में रक्षा मंत्रालय ने 29 मई को फिर से राज्य को पत्र भेजकर वही अनुरोध किया। उन्होंने जमीन लेने की समय सीमा इस साल के सितंबर तक बढ़ाने का अनुरोध किया। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि रक्षा मंत्रालय अब इस मामले में काफी सक्रिय है।
राजनीतिक हलकों के अनुसार, राज्य एक बार फिर तटरक्षक बल के अनुरोध को स्वीकार कर सकता है, क्योंकि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे शामिल हैं। लेकिन उन्हें लगता है कि वर्षों से जमीन को छोड़े जाने से इस मामले में केंद्र की उदासीनता स्पष्ट हो गई है।