‘न्यायपालिका पर भरोसा घट रहा है’, कोर्ट छोड़कर राजनीति! मुख्य न्यायाधीश का विस्फोटक बयान

न्यायपालिका के प्रति आम लोगों का भरोसा कम होने के लिए न्यायाधीश ही जिम्मेदार हैं। ऐसा विस्फोटक बयान भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बी आर गाबई ने दिया है। बुधवार को ब्रिटेन के सर्वोच्च न्यायालय में आयोजित न्यायपालिका से संबंधित एक गोलमेज बैठक में उन्होंने यह सख्त रुख व्यक्त किया। मुख्य न्यायाधीश ने उन पूर्व न्यायाधीशों की आलोचना की है, जिन्होंने सेवाकाल समाप्त होने से पहले ही स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति लेकर राजनीतिक दल के उम्मीदवार बने हैं या सेवानिवृत्ति के बाद किसी सरकारी पद पर शामिल हुए हैं।
न्यायमूर्ति गाबई के अनुसार, इन फैसलों के कारण न्यायाधीशों की ईमानदारी और नैतिकता पर सवाल उठ रहे हैं, जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता को भी संदेह के घेरे में ला रहा है। उनका सवाल है, भविष्य में व्यक्तिगत लाभ या स्वार्थ सिद्धि की बात सोचकर ही इन न्यायाधीशों ने फैसले नहीं दिए, इसकी क्या गारंटी है? उन्होंने स्पष्ट किया है कि एक न्यायाधीश को सैद्धांतिक रूप से सेवानिवृत्ति के बाद कोई सरकारी पद या संवैधानिक लाभ नहीं लेना चाहिए और राजनीति में प्रवेश करने से भी बचना चाहिए। इन कारणों से न्यायपालिका के प्रति लोगों का भरोसा घट रहा है और नैतिकता को लेकर भी संदेह पैदा हुआ है।
न्यायपालिका की पारदर्शिता और जन-विश्वास की रक्षा
लंदन में जिस गोलमेज बैठक में भारत के मुख्य न्यायाधीश ने यह कठोर रुख व्यक्त किया है, उस सभा का मुख्य विषय ‘न्यायिक योग्यता और जनता का विश्वास बनाए रखना’ था। मुख्य न्यायाधीश गाबई का मानना है कि न्यायपालिका की सबसे बड़ी संपत्ति लोगों का विश्वास, निष्पक्ष छवि और पारदर्शिता है। इस पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए उन्होंने न्यायाधीशों की संपत्ति सार्वजनिक रूप से घोषित करने का समर्थन किया है। यहां तक कि किसी भी सुनवाई का सीधा प्रसारण भी उसी कारण से आवश्यक है, उन्होंने उल्लेख किया। उन्होंने यह भी कहा कि आम लोगों का विश्वास फिर से प्राप्त करना या उसे बनाए रखना न्यायपालिका की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। भ्रष्टाचार के साथ अदालत का जरा सा भी संबंध पूरी न्यायपालिका की नैतिकता को सवालों के घेरे में खड़ा कर देता है।
हाल के अतीत में गाबई द्वारा उल्लिखित प्रत्येक प्रवृत्ति देखी गई है। सेवानिवृत्ति से पहले ही कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद से इस्तीफा देकर अभिजीत गंगोपाध्याय लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार बनकर सांसद बने हैं। 2019 में राम मंदिर स्थापना के पक्ष में फैसला सुनाने वाले सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य के रूप में राज्यसभा के सांसद बने थे। इसके अलावा, हाल ही में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास से मिले जले हुए नोटों के बंडल को लेकर जबरदस्त हंगामा हुआ है। इन घटनाओं ने न्यायपालिका को लेकर जनमानस में प्रश्न खड़े किए हैं।