पतंजलि योगसूत्र मुद्राओं के जरिए संतुलित करें शरीर की ऊर्जा

योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि शरीर, मन और आत्मा को साधने का एक गहरा विज्ञान है. इसमें हस्त मुद्राओं का विशेष महत्व है, जो हाथों और उंगलियों की विशेष आकृतियों से शरीर की ऊर्जा को संतुलित करती हैं. बाबा रामदेव के अनुसार, हमारा शरीर पंचतत्वों से बना है और इनमें असंतुलन बीमारियों का कारण बनता है, जिसे मुद्राओं से ठीक किया जा सकता है. ये मुद्राएं न सिर्फ शारीरिक सेहत बल्कि मानसिक शांति और आत्म-विकास में भी सहायक होती हैं.
मुद्राएं कई प्रकार की होती हैं, जिनमें ज्ञान, वायु, प्राण, सूर्य और लिंग मुद्रा प्रमुख हैं. ज्ञान मुद्रा एकाग्रता बढ़ाती है, जबकि वायु मुद्रा वात संबंधी समस्याओं जैसे गैस और जोड़ों के दर्द में राहत देती है. प्राण मुद्रा आंखों की रोशनी और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है, जबकि सूर्य मुद्रा वजन घटाने और पाचन सुधारने में सहायक है. लिंग मुद्रा शरीर की आंतरिक गर्मी बढ़ाकर सर्दी-जुकाम और अस्थमा जैसी समस्याओं में लाभकारी है, लेकिन इसका अभ्यास सावधानी से करना चाहिए.