बिलुप्तप्राय बहुरूपी कला को बचाने के लिए कृष्ण का निरंतर संघर्ष

जेट गति के युग में विलुप्तप्राय बहुरूपीय कला को बचाए रखने वाले कोलकाता के बागुइआटी के कृष्ण बैरागी हैं। 50 वर्ष के इस कलाकार ने कभी रवींद्रनाथ, कभी कार्ल मार्क्स, और कभी चार्ली चैपलिन का रूप धारण कर घंटों ‘लिविंग स्टैच्यू’ के रूप में स्थिर रहते हैं। उन्होंने लगातार 13 घंटे लिविंग स्टैच्यू बनकर रिकॉर्ड भी बनाया है। गरीबी उनकी निरंतर साथी रही है, फिर भी अपने लय और शर्तों पर इस प्राचीन कला को जीवित रखने की दृढ़ संकल्प के साथ वह जी रहे हैं।
राज्य के बाहर उत्तर प्रदेश और शिलांग सहित विभिन्न जगहों से बुलावा मिलने के बावजूद और 30 से अधिक फिल्मों में जूनियर आर्टिस्ट के रूप में काम करने के बावजूद उनकी आर्थिक कठिनाई समाप्त नहीं हुई है। टिन की छत वाले घर में पत्नी, बच्चों और वृद्धा मां के साथ किसी तरह परिवार चलाने के बावजूद, उन्होंने अधिक आय के आकर्षण को नजरअंदाज करते हुए बहुरूपीय पेशे को ही थामे रखा है। कृष्ण चाहते हैं कि यह कलाकार की पहचान अगली पीढ़ी के बीच सजीव हो, और इसी कारण से वह अपने भाई और भतीजे को इस पेशे में प्रोत्साहित कर रहे हैं।