देवशयनी एकादशी व्रत तिथि और फलाहार नियम

देवशयनी एकादशी का पावन पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है और यह चातुर्मास की शुरुआत का प्रतीक है। इस वर्ष, दृक पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 05 जुलाई को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर प्रारंभ होकर 06 जुलाई को शाम 09 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य होने के कारण, देवशयनी एकादशी 06 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दौरान भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं, जिससे चार माह तक कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह या गृह प्रवेश नहीं किए जाते।
इस महत्वपूर्ण व्रत में फलाहार का विशेष महत्व है, जहाँ अनाज का सेवन वर्जित रहता है। भक्त सेब, केला, अंगूर, संतरा सहित विभिन्न फलों, दूध, दही, पनीर और छाछ का सेवन कर सकते हैं। वहीं, चावल, गेहूं, जौ, दालें, प्याज, लहसुन, मांसाहारी भोजन और सामान्य आयोडाइज्ड नमक का उपयोग वर्जित है; केवल सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है। व्रत का पारण द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद और हरि वासर समाप्त होने पर किया जाता है, जिसके लिए भगवान विष्णु की पूजा के बाद ब्राह्मण को भोजन कराने या दान देने की परंपरा है।