भाजपा अध्यक्ष पद पर देरी क्यों, क्या है सियासी दांवपेंच

भाजपा अध्यक्ष पद पर देरी क्यों, क्या है सियासी दांवपेंच

भारतीय जनता पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति में हो रही देरी से सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज़ हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बीच किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई है, जिसके चलते यह विलंब हो रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जल्द ही आम सहमति बनने की उम्मीद है। भाजपा संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी संभव है जब कम से कम 19 राज्यों में अध्यक्षों की नियुक्ति हो जाए। अब तक 37 में से 14 राज्यों में नए अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है और बाकी राज्यों में भी नियुक्तियां शीघ्र होने की संभावना है।

पार्टी और संघ के बीच नामों पर गहन मंथन चल रहा है, जिसमें उम्मीदवार की आयु, सामाजिक पृष्ठभूमि और भौगोलिक क्षेत्र जैसे कारकों पर विचार किया जा रहा है।1 आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को ध्यान में रखते हुए भी रणनीति बनाई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुलाई के दूसरे सप्ताह में विदेश यात्रा से लौटने के बाद नए अध्यक्ष की घोषणा की जा सकती है। नए अध्यक्ष के सामने 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 2026 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और असम जैसे राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की चुनौतियां होंगी।2

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