सैन्य अभियानों में राजनीतिक हस्तक्षेप! नौसेना के कैप्टन ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर किया बड़ा दावा

जकार्ता, 30 जून: क्या ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय लड़ाकू विमान नष्ट हुए थे? यह सवाल एक बार फिर तब सामने आया जब इंडोनेशिया में भारत के रक्षा अताशे नौसेना के कैप्टन शिव कुमार ने एक सेमिनार में विस्फोटक टिप्पणी की। उन्होंने दावा किया कि ऑपरेशन के शुरुआती चरणों में राजनीतिक नियंत्रण के कारण भारत ने कुछ लड़ाकू विमान खो दिए।
कैप्टन शिव कुमार का बयान सामने आते ही विपक्ष ने सरकार पर हमला बोल दिया। हालांकि, इंडोनेशिया में भारतीय दूतावास ने तुरंत टिप्पणी पर स्पष्टीकरण दिया। दूतावास ने कहा कि कैप्टन के शब्दों का गलत अर्थ निकाला जा रहा है। उनका मतलब था कि भारतीय सेना एक नागरिक राजनीतिक नेतृत्व के तहत काम करती है, जो भारत के कुछ पड़ोसी देशों में नहीं देखा जाता है। दूतावास ने दावा किया कि कुछ मीडिया रिपोर्टों ने उनके बयान के उद्देश्य को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है।
इससे पहले भारतीय सेना प्रमुख जनरल अनिल चौहान ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान लड़ाकू विमानों को नष्ट करने की संभावना का संकेत दिया था। लेकिन कैप्टन शिव कुमार की टिप्पणियों ने विवाद का एक नया तूफान खड़ा कर दिया है।
दूसरी ओर जकार्ता में आयोजित सेमिनार में इंडोनेशिया के एक एयरोस्पेस विशेषज्ञ ने दावा किया कि पाकिस्तान के साथ झड़प में भारत ने तीन राफेल, एक मिग-29 और एक सुखोई-30 खो दिए। इसके अलावा एक सामरिक ड्रोन और दो एस-400 लांचर को भी भारी नुकसान पहुंचा है। इस दावे को पूरी तरह खारिज करते हुए कैप्टन शिव कुमार ने कहा, “हमने कुछ विमान खोए हैं, यह सच है। लेकिन इसकी वजह यह थी कि पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हमला करने का फैसला राजनीतिक रूप से नियंत्रित था। कहा गया था कि किसी भी सैन्य या नागरिक प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया जा सकता। केवल आतंकवादियों को ही निशाना बनाया जाना चाहिए।” उन्होंने आगे बताया, “इस नियंत्रण का पालन करते हुए हमें कुछ नुकसान भी हुआ। लेकिन हमने तुरंत रणनीति बदली और उनके सैन्य प्रतिष्ठानों और वायु रक्षा प्रणालियों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। यही वजह है कि हमारी मिसाइलें पाकिस्तान में घुसने और आसानी से लक्ष्य को भेदने में सक्षम रहीं।” गौरतलब है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई का फैसला पूरी तरह से सेना पर छोड़ दिया गया था। लेकिन अब नौसेना के कैप्टन की इस टिप्पणी ने एक नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है।