भारत-रूस दोस्ती से बढ़ेगी Su-30MKI की ताकत, चीन-पाक की उड़ेगी नींद

भारत और रूस के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा करने वाली है। हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष आंद्रेई बेलौसोव की मुलाकात में रक्षा उत्पादन और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर जोर दिया गया। इस दौरान रूस ने भारत को स्वदेशी रूप से हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के उत्पादन और Su-30MKI लड़ाकू विमानों के बेड़े को आधुनिक बनाने में सहायता करने की इच्छा जताई है, जिसमें Active Electronically Scanned Array (AESA) आधारित विरुपाक्ष रडार से लैस करने की भी योजना है।
यह सहयोग भारतीय Su-30MKI बेड़े की युद्धक क्षमता को बढ़ाएगा। इसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल और अस्त्र हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का सफल एकीकरण पहले से ही शामिल है। अब, स्वदेशी विरुपाक्ष AESA रडार और नई इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक (IRST) प्रणाली का एकीकरण लक्ष्य का पता लगाने, ट्रैक करने और उसे भेदने की क्षमताओं में उल्लेखनीय सुधार करेगा। इसके साथ ही, एक नया इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट भी शामिल होगा। रूस ने भारत को अपनी लंबी दूरी की R-37M हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल (RVV-BD) की बिक्री और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत इसके स्थानीय उत्पादन का भी प्रस्ताव दिया है।