शिवजी के सिर पर बैठकर जल चढ़ाना चाहिए या खड़े होकर? क्या आप जानते हैं कि श्रावण मास में आपको किन नियमों का पालन करना चाहिए?

शिवजी के सिर पर बैठकर जल चढ़ाना चाहिए या खड़े होकर? क्या आप जानते हैं कि श्रावण मास में आपको किन नियमों का पालन करना चाहिए?

बस कुछ ही दिनों में भगवान शिव का प्रिय महीना श्रावण शुरू हो रहा है। श्रावण के पहले सोमवार को सभी लोग शिवजी के सिर पर जल चढ़ाएंगे, जो शिव भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन कई लोग निर्जला व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उनके सिर पर जल चढ़ाते हैं।

हालांकि, कई लोग यह नहीं जानते होंगे कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने के कुछ खास नियम हैं, माना जाता है कि इनमें थोड़ी सी भी चूक होने पर भगवान शिव नाराज हो जाते हैं।

खड़े होकर नहीं, बैठकर जल चढ़ाएं:

ज्योतिषियों और धार्मिक विशेषज्ञों के अनुसार, शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि खड़े होकर भूलकर भी जल नहीं चढ़ाना चाहिए। सिर्फ श्रावण मास में ही नहीं, बल्कि साल के किसी भी समय, हमेशा बैठकर जल चढ़ाना चाहिए, जब तक कि आपको कोई शारीरिक समस्या न हो। हिंदुओं का मानना ​​है कि खड़े होकर जल चढ़ाने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं और आपकी मनोकामना पूरी नहीं करते हैं। इसलिए, आपको भक्ति भाव से पूजा करते समय इस नियम का पालन करना चाहिए।

शिवलिंग पर जल चढ़ाने के अन्य महत्वपूर्ण नियम:

मुख की दिशा: शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय, भक्त का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।

पात्र का चयन: शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए तांबे या कांसे के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। स्टील के बर्तन का उपयोग करने से बचें।

मंत्रों का जाप: जल चढ़ाते समय, भक्ति भाव से ‘ओम नमो शिव’ मंत्र का जाप करें।

हाथों का उपयोग: हमेशा अपने दाहिने हाथ से शिव के सिर पर जल डालें।

उपवास: ऐसा माना जाता है कि निर्जल व्रत रखकर शिव की पूजा करने से बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं। यह व्रत पुरुष या महिला कोई भी व्यक्ति कर सकता है।

श्रावण मास में शिव पूजा की विशेष विशेषताएं और सामग्री:

श्रावण मास भगवान शिव का बहुत प्रिय महीना है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से वे बहुत प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। भगवान शिव वैसे तो थोड़े से ही प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन पूजा में कोई गलती होने पर वे नाराज भी हो सकते हैं।

पूजा की तैयारी और सामग्री:

साफ-सफाई: श्रावण मास के व्रत के दौरान भगवान के घर को साफ-सुथरा रखना चाहिए।

समय: श्रावण मास की पूजा सुबह के समय करना शुभ माना जाता है।

खाना: व्रत के दौरान आलू, लौकी और कद्दू का सेवन किया जा सकता है।

अभिषेक: शिव की पूजा के दौरान शिवलिंग पर घी, शहद, सिद्धि, दूध और गंगाजल से अभिषेक करना जरूरी होता है।

प्रिय फूल और पत्ते: बेलपत्र, धुतारो और आकंद के फूल शिव को सबसे ज्यादा प्रिय हैं। पूजा के दौरान ये चीजें जरूर चढ़ानी चाहिए।

अनाज: पूजा के दौरान शिवलिंग पर आटप चावल और जौ चढ़ाने से शुभ फल मिलता है।

सूर्यदेव को जल: शिव पूजा करने से पहले सूर्यदेव को जल चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है।

निषेध: शिव की पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग न करें।

रंग: पूजा सामग्री और वस्त्र के लिए सफेद रंग की वस्तुओं का उपयोग करने का प्रयास करें।

भक्तों का मानना ​​है कि श्रावण मास में इन विशेष नियमों का पालन करते हुए पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति आती है।

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