ललित मोदी को सुप्रीम कोर्ट से झटका, बीसीसीआई को ईडी का जुर्माना भरने का निर्देश देने की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूर्व क्रिकेट प्रशासक ललित मोदी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने बीसीसीआई को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के नियमों का उल्लंघन करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उन पर लगाए गए 10.65 करोड़ रुपये के जुर्माने का भुगतान करने का निर्देश देने की मांग की थी।
हालांकि, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और आर महादेव की पीठ ने कहा कि ललित मोदी कानून के तहत उपलब्ध दीवानी उपचार के हकदार होंगे।
पिछले साल 19 दिसंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट ने ललित मोदी की याचिका खारिज कर दी थी और उन पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। उस याचिका में ललित ने कोर्ट से बीसीसीआई को ईडी द्वारा फेमा का उल्लंघन करने के लिए उन पर लगाए गए 10.65 करोड़ रुपये के जुर्माने का भुगतान करने का निर्देश देने का आग्रह किया था। तब हाई कोर्ट ने कहा था कि यह याचिका “तुच्छ और पूरी तरह से गलत” है, क्योंकि फेमा के तहत न्यायाधिकरण ने ललित मोदी पर जुर्माना लगाया था।
ललित मोदी ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्हें बीसीसीआई का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था और वह आईपीएल संचालन संस्था यानी बीसीसीआई की एक उपसमिति के अध्यक्ष भी थे। याचिका में दावा किया गया था कि उन्हें बीसीसीआई के नियमों के अनुसार मुआवजा दिया जाना चाहिए। हालांकि, हाईकोर्ट की पीठ ने 2005 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि बीसीसीआई संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत परिभाषित ‘राज्य’ की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है। हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि ललित मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद 2018 में यह याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने आगे कहा, ‘प्रवर्तन निदेशालय द्वारा आवेदक (ललित) पर लगाए गए जुर्माने के मद्देनजर आवेदक (ललित) द्वारा मांगे गए मुआवजे में जनहित का कोई सवाल ही नहीं उठता और इसलिए इस उद्देश्य के लिए बीसीसीआई को कोई निर्देश जारी नहीं किया जा सकता।’ कोर्ट ने कहा, ‘किसी भी स्थिति में यह राहत पूरी तरह से गलत है। यह आवेदन तुच्छ है और तदनुसार हम इस आवेदन को खारिज करते हैं।’ साथ ही ललित मोदी को चार सप्ताह के भीतर टाटा मेमोरियल अस्पताल में एक लाख रुपये जमा करने का भी निर्देश दिया गया।