मुस्लिम समाज में क्या है महिला खतना प्रथा-? बेदर्दी से काटकर फेंक दिया जाता महिलाओं के शरीर का ये महत्वपूर्ण अंग!

मुस्लिम समाज में महिलाओं के खतना (फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन) की क्रूर प्रथा पर वैश्विक बहस फिर तेज हो गई है। हाल ही में ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन और ‘अपराध’ बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की। यह प्रथा महिलाओं के बाहरी जननांगों को बेरहमी से काटने से संबंधित है, जिससे उन्हें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के गंभीर कष्ट झेलने पड़ते हैं। कुछ रूढ़िवादी समुदाय इसे महिलाओं को ‘पवित्र’ बनाने की प्रक्रिया मानते हैं, जबकि वास्तव में यह महिलाओं की स्वायत्तता का सीधा उल्लंघन है।
भारत में बोहरा समुदाय सहित अफ्रीका और मध्य पूर्व के कई देशों में यह प्रथा अभी भी मौजूद है, हालांकि मिस्र जैसे कुछ देशों में इस पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रथा को मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन मानते हुए इसे 2030 तक पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है। ‘इंटरनेशनल डे ऑफ जीरो टॉलरेंस फॉर एफजीएम’ के माध्यम से हर साल 6 फरवरी को इसके खिलाफ जागरूकता बढ़ाई जाती है। यह मुद्दा केवल धार्मिक या सांस्कृतिक नहीं, बल्कि एक गंभीर मानवाधिकार मुद्दा है, जिस पर समाज को गंभीरता से विचार करना होगा।