“मुंह में शहद, दिल में जहर” – चाणक्य के शब्दों में जानिए ‘गद्दार’ दोस्त को कैसे पहचानें

“मुंह में शहद, दिल में जहर” – चाणक्य के शब्दों में जानिए ‘गद्दार’ दोस्त को कैसे पहचानें

हजारों साल बीत गए, आचार्य चाणक्य अपने सिद्धांतों और सलाह के लिए आज भी प्रासंगिक हैं। इस महान विद्वान, कूटनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और दार्शनिक ने जीवन को वास्तविकता की सबसे कठोर शर्तों पर आंका। और इसलिए, उन्होंने जो रास्ता दिखाया वह आज भी आधुनिक जीवन में सफलता की कुंजी है। चाणक्य की अमूल्य सलाहों में से एक है दोस्तों का चयन और इस बारे में स्पष्ट मार्गदर्शन कि किन पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

आचार्य चाणक्य के अनुसार, कुछ दोस्त मीठी बातों से आपका दिल जीत लेते हैं, लेकिन पर्दे के पीछे आपको नुकसान पहुंचाने में लगे रहते हैं। उन्होंने उनकी तुलना ‘जहर से भरे बर्तन’ से की। जिस तरह जहर कभी नहीं पीना चाहिए, उसी तरह आपको ऐसे लोगों से तुरंत दूरी बना लेनी चाहिए। जो लोग आपके सामने मीठी बातें करते हैं और आपकी अनुपस्थिति में आपको नुकसान पहुंचाते हैं, वे मित्र नहीं बल्कि आपके सबसे बड़े दुश्मन हैं। चाणक्य साफ तौर पर कहते हैं कि ऐसे लोगों को अपने जीवन से दूर रखना ही समझदारी है।

चाणक्य यह भी चेतावनी देते हैं कि अगर कोई सच्चा दोस्त भी बुरी आदतों में पड़ जाए तो वह आपको धोखा दे सकता है। इसलिए उनका मानना ​​है कि किसी पर भी आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण सलाह यह है कि किसी को भी अपने जीवन के रहस्य किसी से भी साझा नहीं करने चाहिए, चाहे वह कितना भी करीबी क्यों न हो, यहां तक ​​कि बचपन का दोस्त भी क्यों न हो। चाणक्य का दृढ़ विश्वास था कि कुछ बातों को गुप्त रखना ही बेहतर होता है, क्योंकि समय के बदलाव के साथ सच्चा दोस्त भी बदल सकता है और आपके रहस्यों को उजागर कर सकता है। चाणक्य के ये सिद्धांत आज के तेजी से बदलते समाज में भी बहुत कारगर हैं। ये सलाह आज भी दोस्ती और रिश्तों में सावधानी बरतने और संभावित धोखेबाजों से खुद को बचाने का रास्ता दिखाती हैं।

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