इंसानी शरीर में माइक्रोप्लास्टिक का बढ़ता खतरा, वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन चुका प्लास्टिक अब मानव शरीर के अंदरूनी हिस्सों तक पहुंच गया है, जिससे वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है. एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल की बीमारियों से होने वाली मौतों में से 13% के लिए प्लास्टिक जिम्मेदार हो सकता है. यह घातक पदार्थ अब फेफड़े, लीवर, किडनी, रक्त, मस्तिष्क और प्रजनन अंगों तक में पाया जा रहा है. शोधकर्ताओं ने पुरुषों के सीमेन और महिलाओं के ओवरी फ्लूइड में माइक्रोप्लास्टिक कणों की उपस्थिति दर्ज की है, जो भविष्य में प्रजनन संबंधी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है.
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हवा और भोजन के माध्यम से यह प्लास्टिक हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा है. स्टायरोफोम और नायलॉन जैसे पॉलीस्टायरीन को इसके मुख्य कारणों में से एक बताया गया है. हालांकि मनुष्यों पर इसके दीर्घकालिक प्रभाव अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन जानवरों पर इसका असर देखा जा रहा है, जिससे इंसानों के लिए भी ऐसे ही गंभीर परिणामों की आशंका है. हर साल पर्यावरण में 10 से 40 मिलियन मीट्रिक टन माइक्रोप्लास्टिक छोड़ा जाता है, जिसमें से मनुष्य सालाना लगभग 250 ग्राम प्लास्टिक निगल रहा है. इससे बचने के लिए प्लास्टिक की जगह कांच की बोतलें और माइक्रोवेव में प्लास्टिक कंटेनर का उपयोग न करने जैसे साधारण उपाय अपनाए जा सकते हैं.