जलवायु परिवर्तन का शिकार तुवालु, क्या सच में होगा दुनिया से गायब?

जलवायु परिवर्तन का शिकार तुवालु, क्या सच में होगा दुनिया से गायब?

प्रशांत महासागर में स्थित नौ छोटे द्वीपों का समूह तुवालु अपने अस्तित्व के गंभीर संकट से जूझ रहा है। लगभग 11 हजार की आबादी वाला यह दुनिया का चौथा सबसे छोटा देश लगातार बढ़ते समुद्री जलस्तर के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है। पिछले तीन दशकों में यहां समुद्री स्तर में 15 सेंटीमीटर (लगभग 6 इंच) की वृद्धि दर्ज की गई है, जो वैश्विक औसत से कहीं अधिक है। नासा का अनुमान है कि 2050 तक तुवालु का सबसे बड़ा द्वीप फुनाफुटी, जहां 60 प्रतिशत आबादी रहती है, आधा जलमग्न हो जाएगा।

यह गंभीर स्थिति दुनिया के अन्य छोटे द्वीपीय राष्ट्रों के लिए भी एक चेतावनी है। तुवालु ने इस खतरे से निपटने के लिए 2023 में ऑस्ट्रेलिया के साथ एक ऐतिहासिक जलवायु और सुरक्षा संधि की घोषणा की है, जिसके तहत 2024 से हर साल 280 तुवालु नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया में बसने का अवसर मिलेगा। फसलों का चौपट होना और पीने योग्य पानी की कमी यहां के निवासियों के लिए रोज़मर्रा की समस्या बन गई है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और तत्काल सक्रिय कदमों की आवश्यकता स्पष्ट है।

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