शुभमन गिल बने 21वीं सदी के पहले आकस्मिक टेस्ट कप्तान, चुनौतियों भरा सफर शुरू
नई दिल्ली, 25 मई 2025 – भारतीय क्रिकेट में एक अप्रत्याशित मोड़ आया है, जहां शुभमन गिल को 21वीं सदी का पहला आकस्मिक टेस्ट कप्तान बनाया गया है। इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट कप्तानी में पदार्पण करने वाले गिल के सामने नेतृत्व और बल्लेबाजी दोनों में खुद को साबित करने की बड़ी चुनौती है।
32 टेस्ट में 35.05 की औसत के साथ गिल का प्रदर्शन शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों में सबसे कम रहा है। विराट कोहली, चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे जैसे दिग्गजों की तुलना में उनका रिकॉर्ड फीका है। विशेष रूप से SENA देशों (दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया) में उनका औसत 25.70 रहा, बिना किसी शतक के। इंग्लैंड में खेले गए तीन टेस्ट में उनके स्कोर (28, 15, 1, 0, 17, 4) उनकी तकनीकी कमजोरियों को उजागर करते हैं। विशेषज्ञों ने उनकी आउटस्विंगर और चलती गेंद के खिलाफ कमजोरी को रेखांकित किया है, जिसके चलते वे ओपनर की भूमिका भी खो चुके हैं।
गिल की कप्तानी की नियुक्ति ने कई सवाल खड़े किए हैं। रोहित शर्मा के खराब फॉर्म और संन्यास, विराट कोहली को कप्तानी न देने के फैसले, ऋषभ पंत की अनिश्चित स्थिति और केएल राहुल के दीर्घकालिक योजना से बाहर होने के कारण गिल को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। क्रिकेट दिग्गज सुनील गावस्कर ने सुझाव दिया है कि गिल को आंकने से पहले उन्हें पूरा टेस्ट सीजन देना चाहिए। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि अनुभवहीन गिल पर कप्तानी का बोझ उनकी बल्लेबाजी और टीम के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है।
भारतीय क्रिकेट इस समय बदलाव के दौर से गुजर रहा है। यशस्वी जायसवाल, केएल राहुल और नितीश कुमार रेड्डी जैसे खिलाड़ियों ने सीमित अवसरों में प्रभावित किया, लेकिन जसप्रीत बुमराह जैसे प्रमुख खिलाड़ी चोट के जोखिम में हैं। रविचंद्रन अश्विन और रोहित शर्मा के संन्यास, कोचिंग स्टाफ में बदलाव और हार्दिक पांड्या जैसे खिलाड़ियों को दरकिनार करने से टीम में अनिश्चितता बढ़ी है।
गिल की कप्तानी को गौतम गंभीर के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट की नई दिशा का हिस्सा माना जा रहा है। लेकिन अनुभवहीन कप्तान और बदलाव के दौर से गुजर रही टीम के लिए इंग्लैंड दौरा आसान नहीं होगा। प्रशंसकों और विशेषज्ञों की नजरें गिल पर टिकी हैं, जो इस आकस्मिक अवसर को अपनी नियति बनाने की कोशिश में हैं।